बोले..रणधीर सिंह सुमन बोले....लेकिन अबकी बार nice नहीं कुछ अलग बोले

रविवार, 11 जुलाई 2010


वैसे तो खुद रणधीर सिंह सुमन ने स्वीकार लिया है कि मैंने उन्हें nice लिखना भुला दिया है लेकिन सिर्फ़ ये स्म्रतिलोप सिर्फ़ भड़ास के मंच पर ही है बाकी जगहों पर तो ये बुखार की गोली खुल कर बांट रहे हैं। इन्होंने लिखा है कि सवालों से सबको गुजरना पड़ता है तो आदरणीय भड़ास पुरुष डा.रूपेश श्रीवास्तव जी का एक शेर लिख रहा हूं समझ जाओगे क्योंकि उनका लिखा न समझो ऐसा नहीं हो सकता.......
"मेरे वजूद पे सवाल उठा तो लिया
तेरे सवाल पे सवाल न उठने लगें
शहर ए खमोशियों की बस्ती में मेरी
तेरे सवाल से बवाल न उठने लगें"
आप श्रीमान ने लिखा कि गुफ़रान सिद्दकी यदि किसी विषय पर साथ खड़े होते हैं तो स्वागत है, ये गहरी बात है जरा स्पष्ट करके समझता-समझाता हूं। महानुभाव लिखते हैं कि मार्क्सवाद धर्म के आधार पर लड़ने की अनुमति नहीं देता लेकिन क्या मार्क्सवाद ने ये नहीं बताया कि धर्म अफ़ीम है तो धार्मिक कट्टरपंथी अफ़ीमची, जो व्यक्ति मजहबी कट्टरता को खुल कर समर्थन दे रहा हो (आप सबके सामने गुफ़रान महोदय ने एक दो बार नहीं इस विषय पर कई बार लिखा है) अफ़ीम के नशे में उन्मत्त और मदान्ध हो वो यदि आपके साथ खड़ा हो तो आप दोनो के स्वार्थ यदि एक ध्येय लिये हों तभी एक दूसरे को इस्तेमाल करने की नियत से आप उनका साथ ले सकते हैं। साफ़-साफ़ शब्दों में बताइये कि आपका मार्क्सवाद(या समाजवाद की कोई सी भी आप द्वारा स्वीकारी गयी विचारधारा) गुफ़रान सिद्दकी के मजहबी कट्टरपन को कैसे स्वीकार रही है और उस स्वीकार्यता का राष्ट्र के हित में आप कैसे प्रयोग करेंगे?ये आपको मार्क्स बताएंगे या आप अपनी बुद्धि लगाएंगे?? गुफ़रान सिद्दकी को तो उनकी धर्मपुस्तक के एक पन्ने ने भड़ास के मंच से ही विमर्श से विमुख कर दिया। यदि आप उनसे कोई स्पष्टीकरण मांग सकें तो अवश्य मांगिये लेकिन उनकी अधूरी किताब को स्वीकार कर न तो वे कट्टर रह जाएंगे और न ही आपके साथ खड़े हो पाएंगे। मान्यवर आप तो मौजूदा न्यायप्रणाली के एक भाग हैं तो आपकी सेवा में जल्द ही कोर्ट का निर्णय प्रस्तुत कर दूंगा और फ़िर चाहूंगा कि आप उन जजों की सोच पर सवाल उठाएं और शायद कह सकें कि ये जज भी आपके लेखकों की तरह किसी वर्गविशेष के तनखैय्या हैं( ये निर्णय तब ही प्रस्तुत करूंगा जब आप सहमति देंगे अन्यथा मुझे फ़ासीवादी-काशीवादी न जाने किन किन विशेषणों से नवाज़ दिया जाएगा साथ ही मैं स्वयं नहीं चाहता कि साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने का धंधा करने वाले तत्त्व इसका लाभ लें, जैसे मुझे कुरान का वह पेज लाने के लिये गुफ़रान जी ने कई बार लिख कर बाध्य कर दिया था तब मैंने ऐसा करा वरना मैं ऐसा हरगिज न करता भले ही वे मेरे ऊपर ठाकरे,आडवाणी,उमा भारती जैसे जहरीले कीड़ों का समर्थक होने का जबरन आरोप लगाते रहते) ।
सोवियत संघ के विभाजन के बाद मुस्लिम(सोच कर बताइये कि शिया राष्ट्र या सुन्नी राष्ट्र??) राष्ट्रों के उदय, भारत की मौजूदा परिस्थितियों से संतुष्टि, साम्राज्यवाद बनाम समाजवाद आदि विषयों पर आपने जो बौद्धिक जुगाली करी है उसे देख कर साफ़ पता चल रहा है कि आप किसी भी हाल में समान नागरिक अधिकारों की बात नहीं करेंगे। आपको हिंदू, बौद्ध, जैन,सिख, पारसी, ईसाई, यहूदी आदि तो देश में दिखते ही नहीं हैं शायद हिंदू वोट बैंक आप हथिया नहीं पा रहे और जो दूसरे बचे वे संख्या में बहुत कम हैं इसीलिये सिर्फ़ मुस्लिम अल्पसंख्यक दिखते हैं हिन्दुओं की बात करते है लातें फ़टकारने लगते हैं और हां कैसे भूल जाऊं कि आप तो जैनों के भी विरोध में हैं क्योंकि वे मिलावटखोर, राक्षस और न जाने क्या क्या होते हैं :)
आपको आपकी विराट सोच से असहमति रखने वाला हर आदमी गोंडा का ही महसूस होगा, मैं आपके पूर्वाग्रह की पीड़ा को समझता हूं कि कैसे आपके अतीत में किसी गोंडावासी ने आपको रगेदा होगा जिसके सपने देख कर भी आप सिहर जाते होंगे। मुझे कोई ऐतराज आपत्ति नहीं यदि आप मुझे गोंडा का रहने वाला अपना कोई पूर्वपरिचित मान रहे हैं। याद रखिए कि मैं हर उस जगह आपको मिलूंगा जहां आप और आप जैसे छद्मनेता अपनी जड़े जमाने के प्रयास में सक्रिय होंगे। मौजूदा व्यवस्था से असहमति है लेकिन ये जो भी है उसके लिये सिर्फ़ पूंजीवादियों को दोष दे देना और श्रम के पक्षधरों का खुद को पाक़ साफ़ बताना भी असहमति में शामिल है। ये सामाजिक बदलाव का विषय है जो कि अत्यंत मंथर होता है सिर्फ़ कानून बना देना काफ़ी नहीं होता है उसकी सामाजिक सहमति भी चाहिये। समाज की जिस आदर्श स्थिति की परिकल्पना आप लोग सबके सामने माडल की तरह प्रस्तुत करते हैं भारतीय सामाजिक ढांचा क्या उसके पूर्णतः अनुकूल है भी या आप जबरन थोपेंगे साम्यवाद की तालिबानी स्टाइल माओवाद के रूप में???????
जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई

2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

प्यारेलाल आप हो कौन यार? ये अशआर आपने किधर से उठा लिया इसे तो जमाना पहले मैं खुद लिख कर भूल चुका था। मैं आपको पहचान नहीं पा रहा हूं लेकिन आप हमारे बेहद करीबी प्राणी हैं इस बात ने प्रमाणित कर दिया लेकिन आप सामने क्यों नहीं आ रहे भाई???
सामने आकर भी अगर आप किसी की लोगे तो कोई रोकटोक नहीं है बस माँ-बहन को गाली गलौज मत करना(इसका मतलब ये नहीं कि बीबी और बेटी को गाली देने की इजाजत मिल गयी, सीधी बात है कि जिसके प्रति भड़ास है उसे ही गरियाओ)
सुमन भाईसाहब ये बन्दा गोंडा का नहीं हो सकता पूरा यकीन हो चला है :)
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

गुरुदेव,
ये तो बड़ी ना इंसाफी है, आप शेर गीदड़ बकड़ी भेड़ और भैंस ये सब पता नहीं क्या क्या लिखते हैं और हमें पता ही नहीं, वैसे मित्र संजय जी छुपान छुपी बहुत हो गयी, सुमन जी से सभी वाकिफ हैं आप क्षद्म रूपी क्यूँ बने हुए हो. अपने प्रश्नों के साथ खुल कर आ जाओ.
जय जय भड़ास

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP