आज तक चैनल के अधनंगी पत्रकारों से शर्मशार होती दिल्ली .
सोमवार, 12 जुलाई 2010
दिल्ली, देश की राजधानी दिल्ली, सर्वे की माने तो यहाँ सबसे ज्यादा ठरकी और चरित्रहीन पुरुष रहते हैं।
ये मैं नहीं कहता बल्की हमारे देश का सबसे लोकप्रिय ( सबसे घटिया कहें तो श्रेयष्कर हो) चैनल आज तक पर जोर जोर से कहा जा रहा था।
इस सर्वे को सिद्ध करने के जो रास्ता चैनल ने अख्तियार किया वो कुछ यूँ कहें की पत्रकारिता का सबसे घिनौना और शर्मशार करने वाला रुख था। चैनल ने अपने पत्रकारों की टोली से कुछ सुन्दर सी महिला पत्रकार का चुनाव कर उन्हें छोटी वस्त्रों में सड़क पर उतार कैमरा के साथ फुटेज लिया और सारे भारतवर्ष को बताया कि दिल्ली में लोग महिला को घूरते हैं।
चैनल ने इस खबर को तैयार करने में जिस तरह से महिला पत्रकारों को अधनंगी वस्त्रों में सड़क परउतारा मानो वे पत्रकार ना हो कर कुछ और ही हों और ऐसे वस्त्रों में निहारना कोई बड़ा अजूबा तो पेज थ्री के पन्ने वाले लोगों में भी होता है जहाँ वस्त्र कोई मायने नहीं रखते।
क्या आजतक चैनल में महिला पत्रकारों का शोषण होता है या ये बेहूदा चैनल महिला को सिर्फ उपयोग करने के लिए रखता है। इस तरह की बेसिर पैर की खबर को प्रसारित कर हमारे देश की अस्मिता को धूमिल करने वाले इस बेहूदा चैनल की भड़ास भर्त्सना करता है।
3 टिप्पणियाँ:
धन्य हैं ऐसे चैनल,धन्य हैं ऐसे पत्रकार और महाधन्य है ऐसी पत्रकारिता जिसमें वेश्यावृत्ति और पत्रकारिता में अंतर ही न समझ में आए। आप जिन कथित सुन्दर महिला पत्रकारों की बात लिख रहे हैं उनके हावभाव,वेषभूषा और बॉडी लैंग्वेज वो जानबूझ कर ऐसी रखती हैं कि किसी की भी नजर चली जाए। मुंबई में इस तरह की औरतों को अलग ही धंधे वाली के रूप में चिन्हित कर लिया जाता है। यदि ऐसी अधनंगी सी आइटम भड़ास पर टपके तो भड़ासी भी बिना घूरे न मानेंगे
जय जय भड़ास
हा हा हा हा हा,
गुरुदेव, इन खबरिया चैनल में अब पत्रकार रहे कहाँ या तो दलाल या फिर ये आइटम गर्ल.
इसी से तो ये धंधा बे रोकटोक चल रहा है.
जय जय भड़ास
भई यह न्युज चैनल भी एक 'धंधा'ही है।
बस इन्हें लोकतन्त्र के स्तम्भ कहलाने से रोकना होगा।वर्ना लोकतन्त्र शब्द का भी पतन हो जायेगा।
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