बिहार विकास के नाम पर नितीश क्यूँ छल रहे हैं देश को....

मंगलवार, 13 जुलाई 2010

पिछले पोस्ट में बिहार के विकास पर आँखों देखी और करीब से जानने की कोशिश करता हुआ एक वीडियो क्लिप को टुकड़ों में बाँट आपके सामने आया था, पुत्र का मुंडन सो कई बार की तरह इस बार भी गाँव गया था. पटना ट्रेन से उतरने के बाद सुदूर नेपाल सीमा पर अवस्थित मधुबनी जिला अंतर्गत अपने गाँव तक का सफ़र बस से तय किया और अपने बिहार को बाकायदा नजदीक से देखने की कोशिश की.
बिहार विकाश की गति बढ़ी है और आंकड़ों के साथ बिहार का दर्शन इस बात की गवाही भी देता है मगर इस सबके बावजूद कुछ बातें पीछे छुट जाती हैं जिस पर बिहारी की मीडिया को देखने सुनने और लिखने का समय नहीं है.

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एक तरफ विकाश तो दूसरी तरफ इसका नमो निशान नहीं आखिर क्यूँ कर, एन डी टी वी के रविश को बिहार चमकता हुआ दिखता है आखिर क्यूँ ना दिखे, पटना पहुँचने के बाद अपने घर तक जाते जाते पटना के चमकते सड़क को देख, पटना के सिविल लाइन को देख बिहार का गुण गान कोई संवेदनशील पत्रकार कैसे कर सकता है?
बिहार के विकाश में अगर जातिवाद आये, क्षेत्रवाद आये और इस सबका अग्रणी प्रान्त का मुखिया हो और सभी अखबारनवीश प्रान्त के मुखिया के हाँ में हाँ मिला कर पमारिया का तेसर ( मैथिली मुहावरा जिसमें नौटंकी दिखाने वाले का चेला हाँ जी हाँ जी करता है ) की भूमिका में हो तो इस से बड़ा दुर्भाग्य बिहार का क्या हो सकता है की बिहार की मीडिया नितीश की दलाल बन बैठी है.
बात इस प्रमाण की जो वीडियो क्लिप में आपके सामने है, भारत नेपाल सीमा पर अति संवेदनशील मधवापुर प्रखंड जहाँ सशत्र सीमा बल का स्थानीय मुख्यालय है, पडोसी देश के माओवादी का सामना हो या पाकिस्तान का नेपाल से सम्बंधित आई एस आई गतिविधि का सञ्चालन, इस तमाम गतिविधि के लिए गैरकानूनी गतिविधियों का स्वर्ग है ये. जी हाँ मधवापुर थाने में पोस्टिंग कराने के लिए थानेदार बाकायदा पैसे भर कर आते हैं क्यूंकि अपराधियों से उगाही का चारागाह है ये.
सब की वजह मधवापुर सीमा से पांच किलोमीटर तक की सड़क है ही नहीं, आखिर बिहार विकास में प्रान्त के मुखिया ने संवेदनशीलता को तवज्जो क्यूँ नहीं दी ? क्या ये इलाका नितीश के लिए उगाही का काम करता है या फिर जातीय राजनीति के सबसे गहरे खिलाडी नितीश इस इलाके को विजातीय मानते हैं क्यूँकर यहाँ उनके समुदाय के लोग नहीं है ?
कारण जो भी हो मगर नितीश के विकास का जो ढोल मीडिया बजा रहा है वो जहाँ नितीश के जातिगत राजनीति का समर्थन करता है वहीँ नितीश के तमाम गैरकानूनी धंधे में मौन सहमति रख कर अपने मीडिया के व्यवसाय में मुख्यमंत्री को शामिल कर बिहार को लूट अपने व्यवसाय को बढा रहा है?
अनकही फिर से कहता है की बिहार विकाश तो कर रहा है मगर जातिवाद की राजनीति नितीश के शासन में प्रान्त का सबसे बड़ा कोढ़ बन कर उबरा है जिस का अगुआ प्रान्त का मुखिया ही है जिसने पुरे प्रान्त को जाति के विनाशक अज्निती में उलझा दिया है और इसका प्रमाण सभी जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड, अनुमंडल, प्रमंडल सभी स्तर तक देखा जा सकता है. बिहाल की मीडिया मूक दर्शक मात्र जो अपने हिस्से के लिए नितीशगुणगान में लगी हुई है .

1 टिप्पणियाँ:

honesty project democracy ने कहा…

रजनीश जी बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस व्यवस्था पूरी तरह सड़ चुकी है | नितीश जी पता नहीं किस मुगालते में हैं की बिहार विकाश कर रहा है ? अभी मैं भी सीतामढ़ी जिले की सामाजिक जाँच और गांवों में ग्रामसभा का आयोजन करवा कर लौटा हूँ और मैंने देखा की बिहार के ज्यादातर ग्रामीण बैंकों में दलालों का पूरी तरह कब्ज़ा है और फर्जी हस्ताक्षर के जरिये दूसरों के पैसों को दलाल निकालकर ऐश कर रहे हैं और शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है | नितीश जी का ये है सुशासन ? नितीश जी आपको मेरी सलाह है की जरा गांवों में भी असल आम जरूरतमंद लोगों से मिलें जाकर तब जाकर आपको अपने विकाश का पता चलेगा !

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