मुंबई में रहकर बाल ठाकरे की खुल कर चंपी कर देने वाले को सलाम
शुक्रवार, 16 जुलाई 2010
आज भड़ास पर कुछ दिन बाद आने का मौका लगा तो देखा कि बाल ठाकरे की कस कर चंपी करी जा रही है। ये सिर्फ़ हिम्मत ही नहीं सच्चाई पर बने रहने की भी बात है कि कोई ऐसा लिख सके जिससे इन मक्कार नेताओं का कैरेक्टर पता चलता हो। लोग मुंबई में रहकर डरते हैं कि कहीं ये पागल कुत्तों की तरह काटने न आ जाएं। जैसे इन्हीं जैसे लोगों के गुंडों ने एक न्यूज चैनल के कार्यालय पर खुलेआम हमला कर दिया और पुलिस अपाहिजों की तरह देखती रही। डा.रूपेश श्रीवास्तव के साहस को प्रणाम जो कि इतना लिख कर भी बिना डरे पूरी मुंबई में स्वछंद घूमते हैं। भड़ासी ऐसा कर सकते हैं और किसी के साहस को स्वीकार कर सलाम करने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं रखते। डा.साहब को एक बार फिर फैशन वर्ल्ड का सलाम।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
ताई चलो बहुत दिन बाद आयी, मगर तेवर तो एक दम वो ही हैं बोले तो झकास भड़ास .
गुरुदेव तो तो अपनी आदत और भड़ासपण के अग्र्गेता हैं,
भडासी तो ऐसे ही हैं.
जय जय भड़ास
बंदे में है दम
वंदे मातरम
डा.साहब की बात तो ऐसी ही होती है उन्हें मरने मारने का कोई भय नहीं है। यही वो अंदाज है जो विरोधियों को भी प्रभावित कर देता है। एकदम निडर, बेखौफ़ झोपड़पट्टियों में घूमते लोगों से मिलते हैं ये हैं हमारे डा.साहब। इन्हें सलाम...
जय जय भड़ास
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