बाबू सलीम खान !मेरा हिजड़ा होना आप मेरी पोस्ट में लिखे शब्दों से कैसे व्याख्यायित करोगे???
बुधवार, 21 जुलाई 2010
सलीम खान एक निहायत ही सुलझी सोच रखते हैं जिसका सुलझाव उनकी टिप्पणी में दिख रहा है जिसमें उन्होंने डॉ.अनवर जमाल द्वारा अपनी पोस्ट में अनावश्यक शब्द के प्रयोग को लेकर करा है। सलीम खान जानते हैं कि पुंसत्व वहीं जाहिर होता है जहाँ "सेक्स" शब्द का प्रयोग होता है यानि कि ये महाशय शाब्दिक पुंसत्व के हिमायती हैं। अब मैं तो मुखन्नस(लैंगिक विकलाँग) हूँ तो मुझे क्या पता कि मात्र इस शब्द के प्रयोग से सलीम खान वर्गीकरण कर लेते हैं कि कौन पुंसक है और कौन नपुंसक?प्रयास करूंगी कि आगे से इस तरह के असंबद्ध शब्द पोस्ट में अवश्य डाल दूं जिससे भला ही कोई स्वीकारे न स्वीकारे कम से कम सलीम खान जैसे महान लोग तो निःसंकोच मुझे पुंसक स्वीकार लेंगे।
बाबू सलीम खान पौरुष,पुरुषत्त्व,पुंसकता आदि शब्दों में क्या तलाश पाए अब तक। मेरा हिजड़ा होना आप मेरी पोस्ट में लिखे शब्दों से कैसे व्याख्यायित करोगे???सलीम खान जी ! बात करने वाला क्या है ये कैसे पता लगाओगे?क्या किसी भड़ासी ने डॉ.अनवर जमाल का पुंसत्व जानना चाहा है?? या खुद ही जा जाकर सबको बताते रहते हो कि किसमें पुंसकता है और कौन नपुंसक है???
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं, पुरुसत्व का मतलब अगर इन्हें पता होता तो हमारे इतिहास के उन बहादुरों को याद कर लेते,
लिंग का होना पुरुसत्व मानने वालों पर तो बस दया आ सकती है.
जय जय भड़ास
दीदी आपने तो सलीम खान को एक टन जमालगोटा दे डाला बेचारे अब प्रचलित शब्दकोश लेकर पुंसत्व का अर्थ तलाश रहे होंगे। आप जानती हैं दीदी कि कई लोग कानों के बीच रखे भेजे से नहीं बल्कि जांघों के बीच रखे अंग से सोचा करते हैं और उनकों आंखें भी वहीं होती हैं वे दुनिया भी उसी अंग से देखा करते हैं।
जय जय भड़ास
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