मैं पानी की दीवानी हूँ...

शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

जीवन में पानी का, रिश्ते में नानी का और साहित्य में कहानी का बहुत महत्व होता ही। लेकिन आने वाले दिनों में पानी का प्रवाह 'ठहर" जाएगा। तब दुनिया में सिर्फ पानी की कहानी होगी हैै। नानी भी उसी को याद आएंगी, जिसे पानी की दरकार होगी। होली में पिचकारी न होगी, जेब में रेचकारी न होगी। लेकिन पानी की लीला से देश में ब्रह्मïचारी जरुर बढ़ जाएंगे। पानी के ही प्रेमी होंगे और पानी के ही ज्ञानी। आईये जानते हैं क्या है आखिर पानी की कहानी...
प्रेमलता की प्रतिज्ञा है कि जो उसे पूरी लाइफ पेट भर पानी पिलाएगा, वह उसी से शादी करेगी। उसने अपने इंटरनेटिया अवतार में लिखा भी है, 'मैं पानी की दिवानी हूं। यह तस्वीर का वह पहलू है, जब दुनिया में पानी की कीमत जिन्दगी की कीमत के बराबर हो जाएगी। तब न आज की तरह घंटों तेज धार वाले वाले पानी की पाइप से कार धोते लोग नजर आएंगे और न ही सैकड़ों लीटर पानी से स्नान करने वाले। क्योंकि तब तक पानी टंकियों से निकलकर टोप में समा जाएगा। रसोई में पानी इस कदर संभालकर रखा जाएगा, जैसे आजकल अशुद्ध देशी घी। एक बूंद पानी की कीमत समझाने वाले विज्ञापन खत्म हो चुके होंगे, क्योंकि तब वास्तव में सबको समझ आ चुका होगा। बीमारी में लगने वाले इंजेक्शन जैसी पलती नीडिल वाली पाइप से लोग स्नान करेंगे। करीब 100 ग्राम जल में पूरी तृप्ति कर लेंगे। महिलाओं के बाल कंघी से ही इतने साफ हो जाएंगे कि उन्हें धोने की जरुरत ही नहीं बचेगी। इस प्रक्रिया से बचा पानी चाय के लिए इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन चाय की क्वांटिटी चम्मच में समाहित हो चुकी होगी। एक चम्मच चाय आपको पूरे दिन तरो-ताजा रखने के लिए पर्याप्त! छोटू, मोटू, बिट्टू सब स्विविंग पूल में तो जाएंगे, लेकिन पानी में तैरने का इंतजाम नहीं होगा। हां तकनीकी से एक ऐसा खिलौना जरुर इजाद कर लिया जाएगा, जो बच्चों को पानी जैसी 'फिलिंग देगा। उसी हाई-फाई टॉय में ही बच्चे खुश हो लेंगे? यह भविष्य की वे तस्वीरें हैं, जिन्हें हम नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ी जरुर झेलेगी। पानी की कमी से कई समस्याएं अपने आप हल होने जा रही हैं। जिसमें सबसे प्रधान समस्या देश में दहेज रहित शादी का न होना है। पानी की कमी से यह सबसे पहले हल होगी। कैसे? भई! उस समय पानी सबको एक समान बना देगी। न कोई गरीब रहेगा न कोई अमीर, सब बराबर। एक जैसी पानी की जरुरत और परेशानी। लाट साहब को 100 गाडिय़ां व दर्जन भर बंगले होंगे, लेकिन पानी मिलेगा वहीं एक बूंद। लल्लन टाप असली देशी, झोपड़ी में जरुर रहेगा, लेकिन उसे भी मिलेगा बस वहीं एक बूंद पानी! तब यह कथा सार्थक हो जाएगी कि उपर वाले के घर में देर है अंधेर नहीं और यह भी सच मान लिया जाएगा कि अल्लाह के लिए सभी बंदे एक समान हैं। वहां कोई अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा, लंबू-नाटा, खोटा-खरा नहीं है। सब एक हैं, सबका मालिक एक है, इसलिए सभी को मिलेगा सिर्फ एक बूंद पानी! दिखावटी प्राणी तब भी नहीं मानेंगे। दहेज देंगे, कोठी, बंगला, कार, मोटर साइकिल, नोट सब देंगे। लेकिन फिर भी बेइज्जत होंगे, क्योंकि दे न सकेंगे करोड़ बूंद पानी! यहां उनकी अमीरी, रईसी, दिखावा, अहंकार, पागलपन सब स्वंय ही ध्वस्त हो जाएगा। कारण? तब पैसे से पानी नहीं खरीदा जा सकेगा। स्थिति बिलग होगी और संकट विकट। जिसका हल स्वंय प्रकृति के हाथ में होगा। क्योंकि हमारी सारी उर्जा, सारा ज्ञान, सारी तकनीकी और सारा विज्ञान सिर्फ पानी की खोज में होगा। फिर भी किसी को न मिलेगा मात्र एक बूंद पानी! इतना सबकुछ संभव है। फिर भी हमारी जिंदगानी थमने वाली नहीं है। हम यूं ही धमाल मचाएंगे, नाचेंगे, गायेंगे, इंडियन आइडल बनेंगे, देश की शान बनेंगे। देश का मान रखेंगे, सबकुछ यथावत चलता रहेगा। वहीं बेईमानी, भ्रष्टïचार, लालच के पीछे भागते इंसान के करतब होते रहेंगे। लेकिन एक 'ठहराव होगा। क्योंकि तब तक पानी 'ठहर चुका होगा। एक बूंद पानी सबको लाचार करेगी। क्योंकि उसी पर हमारी जिंदगानी टिकी होगी। पानी की बौछार भले न हो, लेकिन हंसी का फुव्वारा तब भी छूटेगा। क्योंकि तब, सब यही कहेंगे 'इट्स माई लाइफ । इन्हीं खट्ठे-मीठे पलों को संजोती जिंदगी यू हीं बीत जाएगी। फिर दिल में एक आस रहेगी कि कहीं मिल जाता बस एक बूंद पानी? ऐसी स्थिति में प्रेमलता की प्रतिज्ञा ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। फुल लाइफ भर पेट पानी! असंभव, क्योंकि यह प्रतिज्ञा कोई नहीं पूरी कर पाएगा। लेकिन एक प्रेमी ऐसा तब भी पैदा होगा। प्रेमलता की प्रतिज्ञा पूरी करने का ऐलान करने वाला युवक अपनी बात को लेकर 'कांफिडेंट था। प्रेमलता को लगा, ऐसा तो हो ही नहीं सकता, इसलिए उसने शर्त रखी की सात फेरे लेने से पहले दूल्हे को एक टंकी 'पानी दिखाना पड़ेगा। धूमधाम से शादी की तैयारियां होने लगी। देश-विदेश से इस अनोखी शादी को देखने मेहमान आने लगे। पूरे वल्र्ड की मीडिया अपने कैमरों व माइक के साथ जमा हो गयी। शुभ घड़ी आयी। विवाह की रस्म शुरु हुई। बस कलश में स्वच्छ जल की जगह साफ मिट्टी भरी थी। सात फेरों का समय आ गया। प्रेमलता खड़ी हुई और बोली दूल्हे को शर्त पूरी करनी पड़ेगी। दूल्हा, मुस्कुराया फिर अपने दोस्तों को इशरा किया। कुछ नौजवान बाहर गये और ट्रक से एक पानी की भरी टंकी उतार लाए। प्रेमलता ने ढक्कन खोलकर देखा। टंकी का नल खोला। उसमें से तो पानी की तेज धार निकली। प्रेमलता ने टंकी का नल तुरंत बंद कर दिया। यह दृश्य देखकर वहां के लोग सकपका गये। फटी-फटी आंखों से एक दूसरे का मुंह देखने लगे। विदेशी मेहमानों के मुंह से फूट पड़ा 'अमेजिंग, पूरे पंडाल में यदि सूई भी गिरे तो आवाज आ जाती, ऐसी खामोशी पसर गयी। एक बूंद पानी को मोहताज दुनिया अचानक एक टंकी पानी देखकर भौचक्की रह गयी। दूल्हा सबको देख रहा था, फिर अचानक बोला- दोस्तों यह पानी नहीं है। वातावरण में मानों भूचाल आ गया। लोगों को लगा जो देख रहे हैं वह सच है या जो सुन रहे हैं वह। दूल्हा रुंआसा हो गया-भरे गले से बोला-जबसे प्रेमलता ने प्रतिज्ञा ली थी, तब से मैं इनका दिवाना हो गया था। मैं प्यार करता हूं, ये पानी की दिवानी थी, तो मैं प्रेम का प्यासा! मैं रोज इनको यादकर रोता था। घंटों तक, कभी-कभी पूरी रात। वहीं आंसू इकट्ठा किए हैं। आज टंकी भर गयी, उन्हीं आंसुओं से। दोस्तों दुनिया का पानी भले ही खत्म हो गया है। लेकिन आंखों का 'पानी अब भी वैसे ही बहता है। निर्झर! निरंतर आज भी रोने वालों की कमी नहीं है। आखिर कुछ भी तो नहीं बदला दुनिया में। दूल्हे की ये बातें सुनकर लोग भावुक हो गये, सबकी आंख से जलधारा टपक रही थी। प्रेमलता की आंखों में भी 'पानी था। समर्पण का, समाहित होने का और प्यार के सागर में डूब जाने का, जिसमें अथाह जल है...। कभी न खत्म होने वाला।
जय भड़ास जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

मनोज भाई आप यकीन मानिये कि व्यंग का जो स्तर आप रख पाते हैं हालिया दौर में कम ही दिखता है। आपकी प्रेमलता से हमें भी प्रेम सा हो गया प्रतीत हुआ
जय जय भड़ास

अन्तर सोहिल ने कहा…

जबरदस्त व्यंग्य
सचमुच क्या पानी की इतनी कमी हो जायेगी?
लेख बहुत पसन्द आया जी

प्रणाम स्वीकार करें

मनोज द्विवेदी ने कहा…

@ GURUJI. YAH BHI SACH HAI KI BHADAS SE JUDANE KE BAD JO URJA MILI HAI AUR JO PYAR AAP SAB SE MILA HAI. WAHI MERA SAMBAL BANA HAI..AAP SAB KA SNEH BANA RAHE

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP