शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट को समझा दिया यानि सुप्रीम कोर्ट अविवेकपूर्ण आदेश भी देता है

रविवार, 22 अगस्त 2010

शरद पवार ने अपने टेढ़े मुंह और उससे भी टेढ़ी बुद्धि का प्रयोग करते हुए खाद्यान्न के सड़ जाने को सही बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने हजारों टन अनाज के सड़ जाने पर कहा था कि क्यों न उसे गरीबों में मुफ़्त वितरित कर दिया जाए। इसी बात को भड़ास पर हमारे अंदाज में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही कहा गया था कि गरीबों को सरकारी अनाज गोदामों पर हमला कर साल भर का गेंहूं लूट लेना चाहिये ताकि अनाज सड़ने की बजाए गरीबी और मंहगाई से जूझती जनता की भूख मिटाने के काम आ सके। अब जब इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी बात को सामने लाया तो कृषिमंत्री शरद पवार ने अनाज के सड़ जाने के पक्ष में तर्क दे डाले कि अनाज सड़ जाए वो सही है न कि गरीवों में मुफ़्त बांट दिया जाए। अब जिससे जो करते बने कर ले हमारे चुने हुए मंत्री तो ऐसा ही करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कानून उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता और जनता तो महामूर्ख है ही। साथ ही साथ शरद पवार ने ये भी सिद्ध कर दिया कि हमारे देश का सबसे बड़ा और अंतिम न्याय मंदिर समझा जाने वाल सुप्रीम कोर्ट तक अविवेकपूर्ण निर्णय देता है, वहां बैठे न्यायाधीशों से अधिक समझदार तो हमारी जनता द्वारा चुने गये नेता हैं।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

munendr ji aapne jo likhaa sch likhaa or sch kdvaa hotaa he suprim kort ke khilaaf shrd pnvaar ki saazish to munaafaakhoron ke ishaare pr he lekin maafi chaahte hue aek nivedn krungaa surt or chehraa khuda detaa he iska zikr jese tede munh ke pnvaar nhin krna chahiye yeh to khudaa kisi ke sath bhi kr skta he lekin sirt yaani akhlaaq insaan khud bnaata he jo shrd ji ne nhin bnaaye hen. akhtar khan akela kota rajsthan

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

मुनेन्द्र भाई आपने शरद पवार के टेढ़े मुंह के बारे में लिखा तो अख्तर खान जी को बुरा लगा लेकिन मैं उनसे बिना माफ़ी के ही कह सकता हूँ कि ये जो है ये उस खुदा का ही अज़ाब है हमारे कर्मों का फल भी वही देता है। अब आप खुद ही निर्णय करें कि भाई मुनेन्द्र सोनी ने ये शब्द मुझसे उधार लेकर क्या गलत कहा है?
जय जय भड़ास

दीनबन्धु ने कहा…

शरद पवार आजाद भारत के इतिहास के कुटिलतम राजनेताओं में से एक है इसकेबारे में आप जो कह रहे हैं बिलकुल दुरुस्त है। अकेला जी आप तस्वीर में अकेले नहीं दिख रहे बल्कि आपके साथ में लोग हैं आप दुकेला या तिकेला लिखें तो सही होगा :)
जय जय भड़ास

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