पूर्व कानून मंत्री ने न्यायपालिका को ललकारा, 16 में से 8 मुख्या न्यायाधीश भ्रष्ट.

शुक्रवार, 17 सितंबर 2010


पूर्व केंद्रीय विधि मंत्री और जाने-माने अधिवक्ता शांतिभूषण ने गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि देश की सर्वोच्चा अदालत के अब तक के 16 प्रधान न्यायाधीशों में कम से कम आठ निश्चित रूप से भ्रष्ट थे। इस से पूर्व न्यायपालिका के भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे होने की जस्टिस आनंद सिंह की लड़ाई को न्यायपालिका ने सरकार और तंत्र के सहयोग से दबा दिया था और मीडिया भी जस्टिस साहब के लिए लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी अब जबकि मामला पूर्व मंत्री ने रखा है तो नि:संदेह जस्टिस आनद सिंह की लड़ाई को भी एक नया आयाम मिलेगा.

वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण ने गुरूवार को हलफनामा पेश कर कहा कि उनमें से छह चीफ जस्टिस पक्के तौर पर ईमानदार थे, मगर बाकी दो के बारे में वह कोई राय व्यक्त नहीं करेंगे। शांतिभूषण के बेटे प्रशांतभूषण को एक मामले में कोर्ट की अवमानना का सामना करना प़ड रहा है।

उन्होंने इस मामले में मुकदमा दायर करने की मांग की थी। शांतिभूषण ने अपने हलफनामे में जिन सोलह प्रधान न्यायाधीशों का जिक्र किया है, उनमें जस्टिस रंगनाथ मिश्रा, जस्टिस केएन सिंह, जस्टिस एमएच कायना, जस्टिस एलएम शर्मा, जस्टिस एमएन वेंकटाचलैया, जस्टिस एएम अहमदी, जस्टिस जेएस वर्मा, जस्टिस एमएम पंछी, जस्टिस एएस आनंद, जस्टिस एसपी भरूचा, जस्टिस बीएन कृपाल, जस्टिस जीबी पाठक, जस्टिस राजेंद्र बाबू, जस्टिस आरसी लाहोटी, जस्टिस वीएम खरे और जस्टिस वाईके सभरवाल हैं। सूत्रों के मुताबिक शांतिभूषण ने सर्वोच्च अदालत को एक बंद लिफाफे में आठ भ्रष्ट प्रधान न्यायाधीशों के नाम भी दिए हैं। उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कहा है कि दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से कहा था कि उनके ठीक पहले और ठीक बाद के मुख्य न्यायाधीश भ्रष्ट थे। उन चारों मुख्य न्यायाधीशों के नाम आठ भ्रष्ट प्रधान न्यायाधीशों की सूची में शामिल किए गए हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शांतिभूषण की प्रार्थना मंजूर कर ली जाती है, तो घपलों का पि
टारा खुल जाएगा और भारतीय न्यायपालिका में सफाई की मांग फिर से उठ ख़डी होगी।

गौरतलब है कि 82 वर्षीय अधिवक्ता और उनके वकील पुत्र प्रशांतभूषण न्यायपा
लिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रामक अभियान के लिए जाने जाते हैं। प्रशांतभूषण पर उनके एक लेख
की वजह से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की कार्रवाई चल रही है। प्रशांत ने इस लेख में भारतीय न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडियां और उनके पूववर्ती जस्टिस केजी बालाकृष्ण पर व्यक्तिगत रूप से कथित तौर पर आक्षेप किए गए थे। इस पर गत 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश कपाडिया और उनके पूर्ववर्ती जस्टिस केजी बालाकृष्णन पर व्यक्तिगत आक्षेप करने पर अवमानना की कार्रवाई करने का आदेश दिया था। तीन न्यायाधीशों अल्तमस कबीर, सिरियाक जोसेफ और एचएल दत्तू की पीठ ने भूषण से कहा है कि 12 सप्ताह में अपना हलफनामा पेश
करें और 10 नवंबर को होने वाली अंतिम बहस के समय तथ्य रखें।

5 टिप्पणियाँ:

honesty project democracy ने कहा…

रजनीश जी ये बाबा की फोटो मेरे ख्याल से गलती से लग गया है ,इस जगह इमानदार वकील प्रशांत भूषन जी की तस्वीर होनी चाहिए थी ...

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

प्रिय honesty project democracy
आप जैसे ही सुसुप्त और संवेदनाहीन लोगों की वजह से आज देश में लोकतंत्र का ये हाल है। आप रजनीश भाई की गलती बता रहे हैं कि उन्होंने गलती से किसी बाबा का चित्र लग गया है जिनकी जगह वकील प्रशांत भूषण जी का चित्र होना चाहिये था। अरे मेरे उनींदे भाई आप इन्हें कैसे पहचानेंगे ये तो ईमानदारी,संवैधानिक गरिमा,लोकतंत्र की साक्षात मानवीय तस्वीर हैं इनका नाम है जस्टिस आनंद सिंह....। इनकी लड़ाई के बारे में बोलने में बाबा रामदेव से लेकर राष्ट्रपति आदि तक डरते हैं। ये भड़ासियों के लिये वो आदरणीय व्यक्तित्त्व हैं जिनके बारे में बोलने से भारतीय मीडिया की हवा तंग है। स्टार न्यूज के पास एक घंटे का अदालत के बाहर ही लिया एक घंटे का इंटरव्यू है लेकिन साहस नहीं कि भारत में न्यायिक व्यवस्था में सुधारक्रान्ति लाने के लिये लड़ रहे इस "वन मैन आर्मी" को वे दिखा सकें क्योंकि चैनल तो बंद करवाना नहीं है। क्योंकि सीधी बात है न्यायपालिका के भ्रष्टाचरण के बारे में दिखाना हरेक के बस की बात नहीं है। आप नींद से जागिये प्रभु.... और आत्महत्या करने का इरादा छोड़ दिया या बस ऐसे ही टोटका अपना रहे थे????
जय जय भड़ास

हरभूषण ने कहा…

रजनीश भाई आपने सत्य की कड़वाहट को बिना बौद्धिकता की शक्कर मिलाए सामने रख दिया इसके लिये आभार। जज साहब के चित्र को वो कैसे पहचान सकते हैं जो न ही honest का अर्थ समझते हैं न ही democracy को जान पाए हैं,उन्हें तो ये बाबा रामदेव जैसे कोई बाबा ही दिखेंगे। जस्टिस आनंद सिंह कौन हैं इन जैसे लोगों को क्या परवाह???
जय जय भड़ास

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

जय भाई,
आपके शंका का निवारण हो गया होगा, आनद सिंह जज थे और इन्ही न्याय्यापलिका के सिपाही जिसके चाँद अपराधी लोगों ने साजिश कर इन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलवा कर इनके पुरे परिवार को जेल भिजवा दिया गया था, कानूनी लड़ाई जितने के बाद जस्टिस साहब वर्षों से न्याय में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए लड़ रहे हैं हद तो ये है की उच्चतम न्यायालय इनके आवेदन को स्वीकार नहीं कर इनको न्यायलय में पहुँचने नहीं देता है क्या ये लोकतंत्र की न्याय व्यवस्था है या फिर सिर्फ चाँद लोगों के हाथों में न्याय की डोर जो अपने मुताबिक इसे नचाता है?

मनोज द्विवेदी ने कहा…

NYAYPALIKA ME HO RAHE ANYAY KO NYAY KOUN DEGA?

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