दीपा बिस्वास ही नहीं मुझे तो श्रीमती ऊषा निश्चल भी एक बोगस आई.डी.जान पड़ता है
रविवार, 5 सितंबर 2010
मुझे कभी इस बात पर कोई आपत्ति नहीं रही है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पहचान को गोपनीय रखने के लिये नकाब पहन ले या फिर कोई लड़की बुर्का पहन ले या दुपट्टॆ से मुँह ढाँक ले या कोई पुरुष गमछे को चेहरे पर लपेट ले। पत्रकारिता में कई बार ऐसा होता है कि सूचना का स्रोत गोपनीय रखा जाता है जो कि सूचना देने वाले की सुरक्षा के लिये होता है। लेकिन यदि कोई अपनी पहचान को ही बदल ले जैसे कि पुरुष खुद को स्त्री बताने लगे और किसी लड़की की तस्वीर अपने परिचय में लगा दे या किसी दूसरे का मुखौटा पहन ले जिससे कि उस व्यक्ति की बदनामी इनके कृत्यों से हो तो यह बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है। भड़ास पर जो कुछ भी लिखा जाता है अपने सही परिचय के साथ लिखा जाता है भड़ासी जिन वेबसाइट्स पर कमेंट करते या लिखते हैं अपने नाम और परिचय से लिखते हैं बेनामी कमेंट नहीं देते ये हमारी कमजोरी है कि हम अपने आपको छिपा नहीं पाते, किसी भी गली में अंधेरे में शेर की आवाज निकाल कर लोगों को नहीं डराते बल्कि कुत्ते की तरह भौंकते हुए सामने आ जाते हैं और यदि भौंकने से बंदा न भागा तो काट भी लेते हैं चाहे पत्थर ही क्यों न खाने पड़े लेकिन छोड़ते नहीं हैं।
मीडिया क्लब में जिस दीपा बिस्वास के नाम और चित्र से आई.डी. बना कर लिखा जा रहा है वह क्या है ये तो बनाने वाला जाने लेकिन मुझे तो श्रीमती ऊषा निश्चल का आई.डी. भी बोगस सा प्रतीत हुआ है। इनकी तरफ से मुझे मित्रता निवेदन भेजा गया है। इनके प्रोफ़ाइल में मैंने देखा कि ये महिला खुद को हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, फ्रेन्च, जर्मन भाषा का जानकार बता रही है लेकिन मीडिया क्लब वेबसाइट पर करा गया सवाल अंग्रेजी में है कि आपने इस वेबसाइट के बारे में कैसे सुना तो ये अंग्रेजी की जानकार जो उत्तर दे रही हैं आप देख लीजिये। चित्र इसी बात की पुष्टि के लिये दिये जा रहे हैं। ये कोई आठवीं पास किस्म के आदमी द्वारा बनाया प्रोफ़ाइल लग रहा है जो अपनी किसी पड़ोस में रहने वाली आंटी की तस्वीर प्रयोग कर रहा है।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
भाईसाहब ये आई.डी.फ़र्जी नहीं है बल्कि ऐसा हो सकता है कि इन श्रीमती निश्चल को हिंदू धर्म का ट्रम्प कार्ड खेलने वाले नेताओं के पीछे खड़े रह कर फोटो खिंचवाने से फुरसत ही न हो इसलिये इनके नाम से को कम पढ़ा लिखा बंदा पैसे लेकर अपडेट करा करता है। पूरा यकीन है कि इन्हें बहुत बुरा लगा होगा और कड़ी प्रतिक्रिया होगी क्योंकि आपने इनके भाषाज्ञान को लेकर इनकी बखिया उधेड़ी है।
जय जय भड़ास
खूब पकडा जी आपने :)
SOCICAL WORKER क्या होता है जी?
प्रणाम
दीपा विश्वास एक और कड़ी है सिर्फ उन चुनिन्दा दलाल ब्लोगरों की जो ब्लॉग के बहाने अपने दलाली का धंधा चम्म्काने की जुगाड़ में है, चाहे यशवंत सिंह हो या अविनाश दास या फिर संजय सेन सागर जो ब्लॉग पर महिला नाम से गुमनाम तिपन्नियाँ कर अपने धंधे का जुगाड़ करता रहा है इसमें एक नया नाम.
जय जय भड़ास
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