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© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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4 टिप्पणियाँ:
bhagwan na kare ki ye sach ho.........
कुछ कहा नहीं जा सकता है क्योकि घोर कलयुग आ चुका है ,वैसे मुझे ये मुर्दों को चीर फार कर मेडिकल के स्टूडेंट द्वारा सीखने के लिए किया जा रहा प्रयोग भी प्रतीत होता है ...?
ये सच हो भी सकता है क्योंकि ये फोटोग्राफ़्स किसी ट्रिक से बनाए नहीं दिख रहे दूसरी बात कि ये मेडिकल स्टूडेंट्स नहीं हैं(मैं रह चुका हूँ तो जानता हूँ कि एनाटॉमी कैसे सिखायी जाती है)। वैसे ये लोग अच्छे कपड़ों में पढ़े लिखे से प्रतीत हो रहे हैं न कि बर्बर जंगली जो कि इंसानी गोश्त खा लें लेकिन मानव भक्षण हमारे समाज में यदा कदा सुनने में आता रहा है। जैसे कि दिल्ली के निठारी कांड में भी बच्चों के गोश्त को खाने की बात सामने आयी थी।
जय जय भड़ास
जो कुछ भी हो देख कर दिमाग घूम गया अब तो कई दिन तक खाना खाते समय ये सब आँखों के सामने घूमेगा
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