मेहरबानी करके मानव भक्षण के इन चित्रों को कमजोर दिल वाले न देखें

शनिवार, 4 सितंबर 2010

मेहरबानी करके इन चित्रों को कमजोर दिल वाले न देखें

क्या सचमुच थाईलैंड के विषय में जिन मानव भक्षण की वीभत्स तस्वीरों को दिखाया गया है वह सत्य हैं अथवा किसी के दिमाग की खुराफ़ात??क्या अभी भी मानव सभ्यता के विकास के इस दौर में इन्सान दूसरे इन्सान का माँस खा रहा है??














































































































































































































































































































































































































































4 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

bhagwan na kare ki ye sach ho.........

honesty project democracy ने कहा…

कुछ कहा नहीं जा सकता है क्योकि घोर कलयुग आ चुका है ,वैसे मुझे ये मुर्दों को चीर फार कर मेडिकल के स्टूडेंट द्वारा सीखने के लिए किया जा रहा प्रयोग भी प्रतीत होता है ...?

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

ये सच हो भी सकता है क्योंकि ये फोटोग्राफ़्स किसी ट्रिक से बनाए नहीं दिख रहे दूसरी बात कि ये मेडिकल स्टूडेंट्स नहीं हैं(मैं रह चुका हूँ तो जानता हूँ कि एनाटॉमी कैसे सिखायी जाती है)। वैसे ये लोग अच्छे कपड़ों में पढ़े लिखे से प्रतीत हो रहे हैं न कि बर्बर जंगली जो कि इंसानी गोश्त खा लें लेकिन मानव भक्षण हमारे समाज में यदा कदा सुनने में आता रहा है। जैसे कि दिल्ली के निठारी कांड में भी बच्चों के गोश्त को खाने की बात सामने आयी थी।
जय जय भड़ास

दीनबन्धु ने कहा…

जो कुछ भी हो देख कर दिमाग घूम गया अब तो कई दिन तक खाना खाते समय ये सब आँखों के सामने घूमेगा

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