प्रिय बहन दिव्या मैं तुम्हें डिबिया कह कर चिढ़ाता.......

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

मेरी बहन है डॉ.दिव्या श्रीवास्तव, इस समय थाइलैंड में रहती है। खूब लिखती है बड़ी हो गयी है न... ब्लॉगिंग करती है zeal नाम से ब्लॉग है उसका। मैं उसके साथ बिताए उस बचपन की कल्पना करता हूँ जो असल में था ही नहीं लेकिन मेरी कल्पना इतनी सघन है कि वो मुझे दिखती है। घुटनों के बल चलती हुई और फिर एक दिन दीवार पकड़ कर खड़े होने का प्रयास करते हुए, धीरे-धीरे डगमगाते हुए चलती और फिर भद्द से गिर पड़ने से पहले बैठ जाती। मुझसे ज्यादा छोटी नहीं है लेकिन फिर भी मुझे बहुत छोटी लगती है। अपनी छोटी सी आँखों से मुझे लगातार देखते इधर-उधर पैर रख कर मेरी तरफ हाथ फैला कर बढ़ती हुई मेरी गुड़िया। कभी कभी खड़े खड़े कच्छी में सुस्सू कर लेती है और खूब जोर से किलकारी मार कर हँसती है जैसे कि कोई बहुत बड़ा काम कर दिया हो। गलफुल्ली से सफ़ेद बंगाली रसगुल्ले जैसे मेरी बहन। लार के बुलबुले बनाती मेरी बिट्टो पता नहीं क्या क्या बुल्ल बुल्ल बोलती रहती जिसे मैं समझने का प्रयास करता पर कभी समझ न पाया। अपने हाथ से खाने की जिद में सारे मुँह पर दाल-चावल लगा कर अजीब सा श्रंगार कर लेती। जब भी वो मुझे देखती तो मैं यही समझने की कोशिश करता हूँ कि क्या मेरी लाडो भी कुछ सोचती है।
समय गुजर रहा है मेरी गुड्डो रानी बड़ी हो गयी। मैं तुम्हें गाहे-बेगाहे तुम्हारे नाम को लेकर चिढ़ा जरूर लिया करता कि दिव्या कैसा नाम है तुम्हारा जैसे "डिबिया"...... तुम अब बड़ी हो चुकी हो इस लिये बुरा नहीं मानती और न ही चिढ़ कर मुझे जवाब देती हो बल्कि मुस्कुरा कर मेरे सिर पर हाथ फेर कर मेरे बाल खराब कर देती हो। मैं तुम्हें जोर से सीने से लगा लेता हूँ कि डरना मत बहन मैं हूँ और अगर मर गया तो भूत बन कर भी तुम्हारे साथ रहूँगा मुझे नहीं चाहिए मुक्ति।

5 टिप्पणियाँ:

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

नहीं......
ये सब आपने दिव्या दी’ के लिये लिखा है। मुझे ईर्ष्या हो रही है। कभी मेरे सिर पर तो हाथ भी ठीक से नहीं रखा हमेशा एंग्री ओल्ड मैन की तरह गुस्साए रहते हो। जाओ जबरदस्ती है मैं ये सब अपने लिए मान लेती हूं क्या करोगे मेरा?
बड़े आए भूत कहीं के :)
जय हो रूपेश दद्दा की
जय जय भड़ास

ZEAL ने कहा…

.

भाई रुपेश ,

खुशनसीब हूँ जो मेरे पास आपके जैसा भाई है।

I love you Bhaiya .

Divya

.

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

दिव्या बहन के बारे में आपने जो भी लिखा है तो मुझे लगा कि काश मेरा भी बड़ा भाई होता जो मुझे बड़ा होते देखता और ऐसे ही एक मज़बूत ढाल की तरह हमेशा साथ होता लेकिन ये है भाई ने भले हमारे लिये नहीं लिखा पर वो हमेशा हम सबके साथ हैं। दिव्या बहन आप सचमुच हम सब में से एक हो और कमोबेश भाई जैसे ही स्वभाव की हो। आपको खूब सारा प्यार
जय जय भड़ास

ZEAL ने कहा…

.

बहेन मुन्नवर सुल्ताना एवं बहेन फरहीन,

भाई के साथ आप सभी का स्नेह मुझे मिला है , इसके लिए बहुत खुश हूँ एवं आप सभी का आभार

.।

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

गुरुदेव,
अपने परिवार क स्नेह और प्यार कि बस अभिभूत हो गया,
ये भूत क्या होता है वो तो वैसे ही हैं ;-)

बस अपना प्यार और बड़ों क आशीर्वाद बना रहे.
जय जय भड़ास

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP