यशवंत सिंह की माँ ही बस माँ है अब तक तो यू.पी. में कोई माँ ही न थी

सोमवार, 18 अक्तूबर 2010


पुलिस ने अपनी जात और औकात पहली बार तो दिखाई नहीं है कि किसी आरोपी के घर के लोगों को प्रताड़ित करा हो। खूब होता रहा है लाखों बार हुआ लेकिन तब लखनऊ के पत्रकारों से लेकर ब्लॉगर तक अंधराए हुए थे। अब चूंकि मामला यशवंत सिंह की माँ का है तो जाहिर है काफ़ी सारे सियार एकजुट होकर हुआ-हुआ चिल्लाएंगे। इन मक्कारों को आज तक किसी की माँ पुलिस थाने में न दिखी कि उस पर कलम चलाते या अधिकारियों से मिलने जाते यदि ऐसा करा होता, अपना पत्रकारिता का धर्म निभाया होता तो ये सूरत कबकी बदल चुकी होती लेकिन दलाली और हरामखोरी तो नसों में भर चुकी है। अब अपनी फट गयी तो हाय हाय चिल्ला रहे हैं। यशवंत सिंह ने अपनी वेबसाइट की पूरी ताकत अपनी माँ के साथ हुए पुलिसिया व्यवहार का बदला लेने में झोंक दी है। ये धूर्त अपनी माँ को भी बिकाऊ खबर की तरह इस्तेमाल कर रहा है फिर बाद में गिनाएगा कि अमुक खबर पर इतने हिट्स हुए थे। ये खुद लिखता है कि इसने बीच का रास्ता चुना ..... सही है दलाली और भड़वागिरी का मार्ग बीच का ही मार्ग है इस जैसे लोग कमाई के लिये बीच का रास्ता ही चुनते हैं जो कि इसने एलानिया चुन लिया है। रणधीर सिंह सुमन को अब तक सिर्फ़ मुसलमानों पर होने वाले अत्याचार दिखते थे लेकिन अब चूंकि मामला मौसेरे भाई का है तो क्यों न चिल्लाएं? अभी जल्दी ही संजय कटारनवरे आएगा तुम्हारी नाइस करने......। इस खबर पर नाइस लिखना सुमन जी तब समझूंगा कि तुम्हारा दिल अब सही काम करने लगा है।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

बेटे के कुकर्म की सजा मा भुगत रही है, यशवंत की दलाली का घड़ा फूट रहा है और इस बाढ़ की पीड़ित बन रही है मा, दुखद है.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

यकीनन जो हुआ गलत है अलोकतान्त्रिक है निंदनीय कृत्य रहा है पर आपने जो लिखा उसे नजरअंदाज़ नहीं करा जा सकता कि जब बरसों बरस से न जानें कितनी माँ-बहनें इसी प्रकार प्रताड़ित हो रही हैं तो पत्रकारों ने हुआ-हुआ क्यों नहीं करा,उसी के एक एपिसोड में यशवंत सिंह की माँ को भी वही भुगतना पड़ा जिसके खिलाफ़ यशवंत ने कभी पत्रकारिता का शायद इस्तेमाल करा होता तो हालात बदलने की शुरुआत हो जाती। अभी भी अपनी वेबसाइट को जिस तरह से यशवंत सिंह इस्तेमाल कर रहे हैं वह पत्रकारिता के नाम पर बस......
आपने सही लिखा कि इससे पहले जो माँएं प्रताड़ित हुईं उनके बेटे यशवंत सिंह जैसे बड़े रसूख के नहीं थे कि उसकी एक आवाज पर पत्रकार एकजुट होकर चिल्लम-चिल्ली करते। कुछ नहीं होगा बस कुछ पुलिस वाले सस्पेंड हो जाएंगे और खबर बनेगी कि आखिर यशवंत सिंह ने बदला ले लिया लेकिन इस पर सामाजिक सरोकार का जामा चढ़ा कर पेश करा जाएगा। सुमन जी से ये उम्मीद नहीं थी शायद उन्होंने मीडिया में समाचार वणिकों को पत्रकार समझ लिया है।
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

न जाने कब तक माँ ही सब कुछ भुगत ति रहेगी

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