मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

उत्तराखंडः स्टर्डिया प्रकरण में निशंक सरकार को मिली क्लीन चिट

देहरादून, निशंक सरकार में ओएसडी लॉ का दायित्व निभा रहे चंद्र शेखर उपाध्याय ने सरकार को एक बडी राहत दिलाने में सफलता प्राप्त की है। चर्चित स्टर्डिया प्रकरण में विपक्ष सहित कोर्ट में घिरी सरकार को मंगलवार को बडी राहत मिली। मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष एवं न्यायमूर्ति बीके बिष्ठ की संयुक्त खंडपीठ में हुई सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी और चंद्र शेखर उपाध्याय की टीम ने निशंक सरकार का इस मामले में मजबूती से पक्ष रखा जिसके बाद माननीय न्यायालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में मुख्यमंत्री को सभी पहलुओं से अवगत नहीं कराया गया।

माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले में निषंक सरकार को क्लीनचिट देते हुए संबंधित अधिकारियों को दोशी माना है और उनकी जाचं के आदेष दिए हैं। न्यायालय ने माना है िक इस मामले में मुख्यमंत्री को पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने स्टुर्डिया को सरकार द्वारा दी गई सभी सुविधाएं रद्द करते हुए जिलाधिकारी देहरादून को संबंधित भूमि को भौतिक कब्जे में लेने का आदेष दिया है।

इस बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री के विषेशकार्याधिकारी विधि व संसदीय मामले श्री चंद्रषेखर उपाध्याय ने बताया कि नैनीताल उच्च न्यायालय में आज हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीष बारिन घोश और बीके बिश्ठ की खंडपीठ ने निषंक सरकार को मामले क्लीनचिट देते हुए उन्हें पर्याप्त जानकारी न मिलने के अधिवक्ताओं के तर्क को सही माना। उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले से जुडे अधिकारियों की भूमिकाओं की जांच का आदेष देते हुए डीएम देहरादून को संबंधित जमीन पर भौतिक कब्जा लेने का आदेष दिया है। उच्च न्यायालय के इस रूख को सरकार के लिए काफी अहम माना जा रहा है।

बताते चले कि इस मामले में उत्तराखंड जन संघर्ष मोर्चा और इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसाईटी ने जनहित याचिका दायर कर सरकार पर गलत तरीके से लैंड यूज चेंज कर राजकोश को चूना लगाने का आरोप लगाया है। मामले में कोर्ट की टिप्पणी सरकार के लिए जीवनदान मानी जा रही है। जबकि कोर्ट के इस रूख से इस मोर्चे पर सरकार को घेर रहे विपक्षी दलों को करारा झटका लगा है। उल्लेखनीय है कि चंद्र शेखर उपाध्याय देश के ऐसे कुछ चुनिन्दा लोगों में से है जो एलएलएम की परीक्षा हिन्दी में कराने और उस पर डिग्री दिए जाने की मांग को लेकर सफल देश व्यापी आन्दोलन चला चुके है और खुद हिन्दी में एलएलएम की डिग्री हासिल की है।

श्री उपाध्याय नारायण दत्त तिवारी की सरकार में राज्य के एडीशनल एडवोकेट जनरल बनकर आए थे। इससे पहले वे इलाहाबाद और लखनउ में न्यायाधीश के पदों पर कुशलतापूर्वक कार्य कर चुके है। उत्तराखंड राज्य में उन्हें विधि और ससंदीय मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। श्री उपाध्याय इससे पहले भी कई सरकारों के संकटमोचक बन चुके है। मंगलवार को हुई इस सुनवाई की तैयारियों को लेकर गंभीर श्री उपाध्याय शनिवार को ही अपनी टीम के साथ नैनीताल पहुंच गए थे और तीन दिन लगातार गहन बैठकों में अपनी रणनीति को अंजाम दिया जिसका परिणाम है कि सरकार के गले की फासं बने स्टर्डिया प्रकरण में सरकार को बडी राहत मिल गई है।

इस बीच उपाध्याय की टीम की सफलता को देखते हुए सरकार ने राहत की सांस ली है । वहीं सरकार को घेरने के चक्कर में पडे विपक्षियों में मामले का रूख मुडने से मायूसी छा गई है।

श्री उपाध्याय ने बताया कि न्यायमूर्ति श्री बारिन घोष और बीके बिष्ठ की अदालत में ही बहुचर्चित पावर प्रोजेक्ट के मामले पर भी आज सुनवाई हुई उन्होनंे कहा िकइस मामले पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। आत्मविश्वास से भरे उपाध्याय ने कहा िकइस मामले में भी निशंक सरकार निर्दोष है और हमारी टीम इस बात को साबित करने के लिए तैयार है।

देहरादून से धीरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

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