आखिरकार पूर्व महिला RAW अधिकारी को पागल बना ही लिया हमारे सिस्टम ने
गुरुवार, 20 जनवरी 2011
अब ये समाचार चुटकियां लेकर सारे खबरिया टीवी चैनल और अखबार दिखा रहे हैं कि एक पूर्व इंटैलिजेन्स महिला अधिकारी ने किस तरह हाईकोर्ट में जज अंकल के सामने अपने कपड़े उतारने की कोशिश करी व सीना खोल दिया। जज अंकल ने तुरंत इस बात पर नाराजगी जता कर उसे मनोचिकित्सालय का रास्ता दिखा दिया कि ससुरी पगली है जो भरी अदालत में चपरासी से लेकर चिरकुट जनता के सामने सीना खोल रही है। अरे अगर यही भरा हुआ सीना अपने वरिष्ठ अधिकारी "पंडित जी" के सामने खोल कर सहर्ष लपटा-चपटी का खेल करवा लिया होता तो आज ये नौबत ही न आती, नौकरी भी जाती रही और घंटा न्याय हाथ न आया; न खुदा मिला न विसाले सनम....। हमारा सिस्टम ऐसा बनाया गया है कि हर वरिष्ठ अधिकारी को अपने कनिष्ठों जिनमें कि महिला(खासतौर पर) भी पायी जाती हैं शोषण करने का अलिखित अधिकार है। अधिकारी जब चाहे जैसे चाहे आपकी बैंड बजा सकता है अगर आपने जरा भी चूं चपड़ करी तो आपकी यही हालत करी जाती है जैसे कि आज निशा प्रिया भाटिया की हो रही है। जुडीशियरी, पुलिस, मीडिया और आपका महान समाज सब एक तरफ खड़े हो जाते हैं और आपकी इस कदर ले लेते हैं कि आने वाली पीढ़ी के लिये ये एक सबक बन जाए और कानून में एक नज़ीर बन जाए कि खबरदार अगर इस तरह ही हरकत करी तो इससे भी बुरा हाल होगा।
हमारी बहन वंदना भदौरिया की पत्रिका इंडिया न्यूज़ ने इस महिला के बारे में तब सुध ली थी जब इसने आवाज उठाई थी लेकिन ईमानदार पत्रकारिता पेड न्यूज़ वाली पत्रकारिता के आगे परास्त हो जाती है। केस चलता रहता है चलता ही जाता है और इतना लम्बा चलता है कि लोग उसे भूल जाते हैं और जो न्यायपालिका के इस गेयर में उलझ जाते हैं वे आजीवन पिसते हैं जो इस सिस्टम को पोषित करते हैं वे भी इसके मजे लूटते पूरा जीवन बिताते हैं कि केस तो चल ही रहा है ।
आप सब देशवासियों को मुबारकबाद कि चलिये एक और जस्टिस आनंद सिंह की तरह से संघर्ष करने की हिम्मत जुटाने वाला अंजाम तक पहुंचा दिया गया है ये बात अलग है कि जस्टिस आनंद सिंह के न तो हौसले पस्त हुए हैं न ही वे अब तक इस सिस्टम द्वारा मनोचिकित्सालय भेज दिये गये हैं बस निशा बहन यहीं मात खा गयीं।
निशा बहन हम भड़ासी साथ में आकर तुम्हारी तरह इन जजों या सिस्टम के पोषकों को इनके नंगेपन का अक्स तो नहीं दिखा सकते पर हम नैतिक तौर पर तुम्हारे साथ हैं।
थू है ऐसे सिस्टम पर हजार बार.....
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
निशा जी ने जज अंकल को सीना खोल कर उनकी माँ की याद दिलाई है कि कम से कम जिस माँ का दूध पिया हो उसे तो लज्जित न करो लेकिन हमारी न्याय व्यवस्था में इसे पागलपन कहते हैं।
हम आपके साथ हैं निशा बहन
जय जय भड़ास
इस देश में अन्याय के खिलाप आवाज उठाते ही आप मानसिक रोगी करार दिए जाते हैं.......क्या इस देश की सर्वोच्च खुपिया संस्था RAAW को मानसिक उपचार की जरूरत है या पूर्व RAAW की महिला अधिकारी मानसिक रोगी है.......?
इस सवाल का सत्य आधारित जवाब जानना इस देश के लिये बहुत जरूरी है.....RAAW के इमानदार अधिकारीयों को भी इस सवाल का जवाब ढूँढना चाहिए.....मैं फेसबुक पर आपके इस पोस्ट को शेयर कर रहा हूँ....
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