रॉ की महिला अधिकारी निशाप्रिया भाटिया की कहानी उन्हीं की जुबानी
शुक्रवार, 21 जनवरी 2011
आदरणीय डॉ.रूपेश जी ने जिस अंदाज़ में रॉ की महिला अधिकारी निशा प्रिया भाटिया जी की कहानी को कुरेदा है वह सिर्फ़ वही कर सकते हैं। मैंने अपना पुस्तकालय खंगाला तो मुझे वह इंडिया न्यूज़ पत्रिका मिल गयी जिसमें बहन निशा भाटिया ने साक्षात्कार दिया था। हमारे देशवासी काफ़ी भुलक्कड़ किस्म के हैं लेकिन भड़ास का मंच आपकी याददाश्त में पेट्रोल लगाए रखने के लिये है।
बहन निशा भाटिया के साथ जो व्यवहार रॉ के तत्कालीन डायरेक्टर चतुर्वेदी ने करा था कमोबेश वही व्यवहार हाईकोर्ट के जज ने बाकायदा जुडीशियल तरीके से करके सिद्ध कर दिया कि यदि वे चतुर्वेदी और ज्वाइंट सेक्रेटरी सुनील यू.के. के सामने कपड़े उतार देतीं तो आज ये नौबत न आती चतुर्वेदी ने भी पागल कहा था और जज ने भी यही मान लिया है। मामला वहीं निपट जाता किसी को पता भी न चलता कि बंद कमरे में क्या हुआ था लेकिन बहन निशा भाटिया ने इन दुष्ट दुराचारी और लंपट लोगों की असलियत सामने लाने के लिये जो लड़ाई शुरू करी है मैं आज उनके जज़्बे को भड़ास के मंच से सलाम करता हूं और डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के अनुसार नैतिक समर्थन देता हूँ। हम जानते हैं कि नागरिक मर रहे हों और देश का प्रधानमंत्री पार्टी में व्यस्त हो उस जगह न्याय व्यवस्था कैसी होगी लेकिन फिर भी हम लड़ेंगे।
जस्टिस आनंद सिंह एक बार फिर प्रखर होकर हम सबके भीतर जागेंगे ये विश्वास है वो बुराई के विरुद्ध लड़ाई के हमारे अनकहे नायक हैं।
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
बहन निशा भाटिया के साथ जो व्यवहार रॉ के तत्कालीन डायरेक्टर चतुर्वेदी ने करा था कमोबेश वही व्यवहार हाईकोर्ट के जज ने बाकायदा जुडीशियल तरीके से करके सिद्ध कर दिया कि यदि वे चतुर्वेदी और ज्वाइंट सेक्रेटरी सुनील यू.के. के सामने कपड़े उतार देतीं तो आज ये नौबत न आती चतुर्वेदी ने भी पागल कहा था और जज ने भी यही मान लिया है। मामला वहीं निपट जाता किसी को पता भी न चलता कि बंद कमरे में क्या हुआ था लेकिन बहन निशा भाटिया ने इन दुष्ट दुराचारी और लंपट लोगों की असलियत सामने लाने के लिये जो लड़ाई शुरू करी है मैं आज उनके जज़्बे को भड़ास के मंच से सलाम करता हूं और डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के अनुसार नैतिक समर्थन देता हूँ। हम जानते हैं कि नागरिक मर रहे हों और देश का प्रधानमंत्री पार्टी में व्यस्त हो उस जगह न्याय व्यवस्था कैसी होगी लेकिन फिर भी हम लड़ेंगे।
जस्टिस आनंद सिंह एक बार फिर प्रखर होकर हम सबके भीतर जागेंगे ये विश्वास है वो बुराई के विरुद्ध लड़ाई के हमारे अनकहे नायक हैं।
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
1 टिप्पणियाँ:
इस देश में अन्याय के खिलाप आवाज उठाते ही आप मानसिक रोगी करार दिए जाते हैं.......क्या इस देश की सर्वोच्च खुपिया संस्था RAAW को मानसिक उपचार की जरूरत है या पूर्व RAAW की महिला अधिकारी मानसिक रोगी है.......?
इस सवाल का सत्य आधारित जवाब जानना इस देश के लिये बहुत जरूरी है.....RAAW के इमानदार अधिकारीयों को भी इस सवाल का जवाब ढूँढना चाहिए.....मैं फेसबुक पर आपके इस पोस्ट को शेयर कर रहा हूँ....
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