भारत का युवा अपना भविष्य खुद तय करेगा

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

कबीर के देश भारत में प्रेम को खरबूजे की तरह मान लिया है कि चाहे कोई भी मामला

हो मरेगा तो प्यार ही. हर इंसान प्रेम की परिभाषा गढ़ ली है और हर किसी को
अधिकार भी है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी है जो प्रेम के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने बठे
है. ऐसे लोगो को प्रेम तरेम से लेना देना नहीं है वो केवल अपने प्रचार के लिए
कुज्ञान भखेरते रहते है. मुझे ऐसे लोगों से सिर्फ यही कहना है कि भारत का युवा
अपना भविष्य खुद तय करेगा और वैसे भी पवित्रवाद के नाम पर रोज़ देश में जो हो
रहा है वो किसी से छिपा नहीं है.
ज्यादा कहने से बेहतर है कि मै मुख्य मुदे पर आ जाऊं . कल दिल्ली के कनोट पेलेस
में यह पर्चा धड्ले से बंट रहा था.
पर्चा सलंग्न है-

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संदीप कुमार मील

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