लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन वालों जरा भड़ासियों की बकवास तो देख लो
शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले तो कहने का साहस नहीं है क्योंकि बुद्धिजीवी हैं और साथ ही सलीम खान को भी प्रबुद्ध मानते हैं तो बेहद संतुलित अंदाज में खिसियाहट निकाल रहे हैं। बेचारे रवीन्द्र पता नहीं किस बौद्धिक उठापटक से क्षुब्ध होकर खुद ही अपना विकेट उखाड़ कर चल दिये। भाई आप परेशान न हों आपके जाते ही माला पहनने की लालसा लिये लोग कतार में खड़ हैं देखिये रेखा जी को माला डलवाने का शौक यहाँ तक ले आया।
रेखा जी को नियुक्त कर दिया और उन्होंने भी माला गले में डलवा ली लेकिन जैसे ही ये किन्ही खास मुद्दों पर आएंगी तो इन्हें पता चलेगा कि ऐसे ब्लॉग के अध्यक्ष आदि को तकनीकी तौर पर कितनी आसानी से बेदखल कर दिया जाता है और किसी को हवा भी नहीं लगती।
बेशर्मी की सारी सीमाओं को पार कर चुका पाखंडी मुखौटा धारी जाकिर अली और उसका धूर्त सहयोगी सलीम खान इस टिप्पणी को भी मात्र टिप्पणियों की संख्या में वृद्धि के लिये चिपकाए है।
1 टिप्पणियाँ:
रेखा जी को बधाई हो नयी जिम्मेदारियां स्वीकारने के लिये और रही बात जाकिर अली की तो उसे बेवकूफ़ को ये नहीं पता कि उपनाम रजनीश रख लेने से कोई रजनीश नहीं बन जाता, है न रजनीश भाई? रेखा जी इसे जवाब देंगी या प्रबुद्धों की तरह चुप्पी साध लेंगी
जय जय भड़ास
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