लिंग प्रकरण पर पुलिस खामोश क्यों है?
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पैंट उतरवा कर लिंग देखना है लिंग पसंद करने का हिस्सा तो नहीं है। एक संगठन
के ऊपर हमेशा आरोप लगते रहे हैं कि वह समलैगिक पसंद का है। कहा जाता है कि जो
लोग व...
2 दिन पहले
1 टिप्पणियाँ:
अमित भाई पद्म सिंह ने जो किया है वह उनके पद की गरिमा को धूमिल जरूर करता दिखता है लेकिन प्राचीन काल से "चरणरज" और "चरणामृत" जैसे शब्द अस्तित्त्व में आ चुके थे इसका मतलब है कि लोग चाटुकारिता या भक्ति भाव में आकर ऐसा करते हैं। अब आप किसके प्रति भक्ति भाव रखें ये तो एकदम निजी मामला है। अब जैसे कि कोई बड़ा आफ़िसर मंदिर के सामने वर्दी में हाथ जोड़ ले तो हम इस बात को सामान्य तरीके से ले लेते हैं लेकिन अब यदि पद्मसिंह के मन में मायाबाई के लिये आस्था है तो इसमें हम भड़ासी एतराज करने वाले कौन होते हैं। भाई,अगर पद्मसिंह चाहें तो मायाबाई के मूत को बिना शक्कर मिलाए भी पीकर रूह अफ़जा या रसना से बेहतर ज़ायके का शर्बत बताएं तो हम भड़ासी इसे आस्था का ही विषय मानेंगे और आस्था पर कोई आपत्ति नहीं स्वीकार्य है कम से कम हमारे देश में तो हरगिज नहीं।
जियो पद्मसिंह
मूत पियो पद्मसिंह
जय जय भड़ास
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