प्रकाश गोविन्द कहीं अंधेरे में गुम नहीं हुए वीडियो बनवा रहे होंगे
गुरुवार, 24 मार्च 2011
भाई कटारनवरे,प्रकाश गोविन्द कहीं अंधेरे में गुम नहीं हुए होंगे वे तो बड़े प्रकाशित बंदे हैं शायद इस पूरे प्रकरण का साइंटिफिक एक्स्प्लेनेशन तलाशने में मदद करने के लिए शोध हेतु जिस रकम की बात उन्होंने घोषणा करी हो उसका ड्राफ़्ट बना रहे होंगे या ऐसा भी हो सकता है कि बालों को भेजने की प्रक्रिया का वीडियो बनवा रहे हों।
प्रवीण शाह जी भौतिकी के नियमों(मौजूदा) को अंतिमतम मान कर आगे के किसी भी रिसर्च पर अपनी मौजूदा साइंस के प्रति अंधश्रद्धा(ये किसी भी धारणा के प्रति हो सकती है)को पोषित कर रहे हैं। आपके साइंटिफिक ब्लागरों की टोली के नायक जाकिर अली रजनीश अब तक इस पूरे प्रकरण पर अपनी कोई भी "हाइपर लिंक्ड" टिप्पणी देने अब तक न आए आपने शायद अब तक उनसे इस बारे में बात नहीं करी होगी यदि हो सके तो सांप और मछलियों वाले साइंटिस्टों से बात कर लीजियेगा इस समूह में तो ये भी हैं। मुंबई के दो-चार साइंटिस्ट ब्लागरों को इस प्रकरण की सत्यता की जांच के लिये आमंत्रित करिये या फिर उनके पास ब्लागिंग करने से फुर्सत नहीं है?एक जमाने तक दूरश्रवण और दूरदर्शन भी जादू जैसा ही लगता था लेकिन जब इसे विचार से आगे बढ़ा कर प्रयोगों में आजमाया तो आज ये साइंस में दर्ज हो गया है। मैं तो कहता हूं कि पपीते क्या किसी भी जगह से कुछ भी और कोई भी निकलना संभव है कदाचित एक अमेरिकन यूनिवर्सिटी के "मिशन फिलाडेल्फिया"(अतिगोपनीय) को प्रवीण शाह और इन जैसे अन्य ब्लागर विद्वान सिरे से नकार दें क्योंकि वह तो अदृश्यीकरण से संबंधित शोध था।
प्रवीण शाह जी से निवेदन है कि विमर्श जारी रखें हम उनसे न धन मांगेंगे न ही नीचे के बाल क्योंकि ये तो भड़ासी भी जुटा लेंगे बाल भी और येन केन प्रकारेण धन भी आप बस विमर्श में मौजूद रहें। हमारा इरादा किसी के अपमान का हरगिज नहीं है इसलिए भाषा शैली को नजरअंदाज करते चलें।
अमित जैन जी के साथ ही अब अनूप मंडल भी चुप्पी साधे हुए है क्या बात है भाई लोगों???
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
टू मच जुलाब दे दिया प्रकाश गोविन्द जी को...
जय जय भड़ास
अजय भाईसाहब बेचारा अपना सिर पीट रहा होगा कि किस मनहूस घड़ी में भड़ास पर अपनी बुद्धि दिखाने आ गया। बक तो दिया लेकिन अब सचमुच दुम टांगों के नीचे ही है वरना कुछ चूं चां की आवाज तो करते ;)
मुनव्वर आपा ने सही कहा कि टू मच जुलाब दे दिया गया है उसे
जय जय भड़ास
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अजय मोहन जी,
विमर्श को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है भड़ास पर ही नई पोस्ट द्वारा... देखते हैं कि मेरी पोस्ट कब मॉडरेशन से बाहर आ पाती है... :(
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