डा.दिव्या श्रीवास्तव निशाप्रिया भाटिया को भूल कर भूकंप और प्रलय से घिर गयी हैं
बुधवार, 16 मार्च 2011
डा.दिव्या श्रीवास्तव एक सफल ब्ला ब्ला ब्लागर हैं। अक्सर ही समाज में सार्थक बदलाव लाने की बात करती हैं। सार्थक बदलाव के लिये ब्लागिंग करती हैं हिंदी में, अंग्रेजी में बहुत कुछ लिखती हैं, नाराज होती हैं , प्रसन्न होती हैं, अपना नजरिया रखती हैं लेकिन टिप्पणीकारों के साथ अत्यंत एक्सचेंजात्मक व्यवहार करती हैं जो कि इनके लिये समय बिताने का उत्तम उपाय होगा लेकिन समाज में सार्थक बदलाव लाने का तो हरगिज नहीं (ये सिर्फ़ भारतीय समाज में बदलाव लाने की चाहत रखती हैं वो भी थाईलैंड में रहकर)।
ये बदलाव कभी बच्चों के जन्म दिन पर शुभकामना देने से आएगा और कभी प्रलय की चिंता करके टिप्पणीकारों से टिप्पा-टिप्पी खेल कर ऐसा इनका प्रबल विचार है। ये निशाप्रिया भाटिया के कोर्ट में जज के सामने निर्वसन हो जाने पर उपदेश दे रही थी कि न्याय ऐसे नहीं मिलता बल्कि न्याय के लिये तमाम उपाय भी बताए थे साथ ही लिखा था कि कुछ ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे कि सामने वाला अन्यायी अपने कपड़े फाड़ कर बाल नोच ले आदि आदि इत्यादि।
कृपा करके अब तो उपायों की झड़ी लगाइये कि दुनिया में प्रलय आने से पहले आपके द्वारा बताए उपायों को आजमा कर देख लिया जाए या आप भी रणधीर सिंह सुमन की तरह nice लिखने वाली या गुफ़रान सिद्दीकी की तरह कट्टरपंथ के उपदेश देकर कुटिल चुप्पी साध लेना जीवन जीने का सही तरीका मानती हैं??
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
2 टिप्पणियाँ:
यानि कि पीछा नहीं छोड़ने वाले....
वो भड़ास देखती ही नही हैं उन्हें पता ही नहीं चलेगा इसलिये उन्हें जाकर सूचित करिये कि आप क्या चाह रहे हैं इस बार मैं सूचना न दूंगा।
जय जय भड़ास
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प्रिय संजय ,
मुझे कहाँ आता है जीवन जीने का तरीका । तुमसे सीखने आती रहूंगी । सिखाओगे न ?
तुम मेरी ब्ला-ब्ला , कैसे झेलते हो ?
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