अरे बप्पा रे ! इदर तो हर कोई ' अनूप मंडल ' बन गयेला है भाई !
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
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एक चर्चा हुई तंत्र-मंत्र पर... भाई लोगों ने मिशन फिलाडेल्फिया से तक
तुलना कर डाली उस की... पर अभी तक कोई उस तान्त्रिक को पेश नहीं कर पा
रहा जो एक बार-केवल एक बार और उस पपीते से... जिसे उसे छूने न दिया
जाये... अगड़म-बगड़म, पूजा-पाठ, आह्वान आदि आदि सारा _ तियापा कर सकता है
वह, लेकिन दूर बैठ कर... फिर वो ही सारा ' माल ' निकाल दिखा दे...
संजय कटारनवरे कहते हैं...
"लेकिन इस पूरे प्रकरण में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात जिसे बार बार पीछे
धकेला जा रहा है वह ये है कि चश्मदीद गवाहों की उपस्थिति में उस घटना का
घटित होना और उसके बाद उन सभी चश्मदीदों द्वारा उस तांत्रिक पर विश्वास न
करते हुए पुनः उस सामग्री, कटे हुए फलों आदि की वीडियो कैमरे के सामने
जांच करना। क्या ये महत्त्वपूर्ण नहीं है कि ये चश्मदीद गवाह कौन हैं??
स्वयं डा.रूपेश श्रीवास्तव जिनके व्यक्तित्त्व के बारे में हम सब जानते
हैं, दूसरी उन्हीं की तरह महाखुर्राट भड़ासिन बहन मुनव्वर सुल्ताना,
सुन्नी मुसलमानों में तर्कों से धर्मांधता फैलाने वाले दढ़ियल मौलानाओं को
रुला दिया करने वाले "बम" उपनाम से मशहूर बुजुर्ग भड़ासी जनाब मोहम्मद उमर
रफ़ाई, इनके साथ ही डा.साहब के बड़े भाई श्री भूपेश श्रीवास्तव व बड़ी बहन
श्रीमती भारती सक्सेना ; ये सभी लोग पूरी तरह होशोहवास में थे।"
हमें तो इतना बता दो भाई कि ' अनूप मंडल ' जिसने इस पूरे प्रकरण पर पाँच
लेखों की सिरीज लिख दी थी, इनमें से कौन है... बेवकूफ तो किसी को भी
बनाया जा सकता है, क्या उपरोक्त सभी महानुभावों को एक साथ बेवकूफ नहीं
बनाया जा सकता ?
और अमित भाई, यह क्या संजय कटारनवरे बार-बार आपको व मुझे ' महागधा '
सिद्ध कर रहे हैं... वह भी पाँच-पाँच लेख लिख कर... और आपने अपनी पोस्ट
में उनका नाम लिख कर फोटो भी लगा दिया... यह तो गधा प्रजाति का सरासर
अपमान है... ऐसा मत करिये भाई... जार्ज पंचम क्या कहेंगे ? अगर गधों ने
भी एक गधाहितकारिणी अर्जी भेज दी उनके पास...
. . . . . . . ;))
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3 टिप्पणियाँ:
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आदरणीय डॉ० रूपेश श्रीवास्तव जी का आदेश है, इसलिये टिप्पणी कर यह पुष्टि करता हूँ कि यह पोस्ट मेरी ही है...
संजय कटारनवरे जी बार-बार मुझे व अमित जी को गधा-महागधा कह रहे हैं... मैं तो खुलकर स्वीकार कर रहा हूँ कि वाकई में मैं परिश्रमी, किसी से भी ज्यादा कुछ अपेक्षा किये अपने काम में लगे रहने वाले, हर हाल में मस्त इस प्राणी सा ही हूँ... अत: इस विशेषण से मुझे कोई गुरेज नहीं...
पोस्ट में उठाये सवालों के इंतजार में...
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@गधाहितकारिणी
वाह क्या बात है
और रही बात संजय कटारनवरे की तो उस जैसे बडबोले को तो गधा कहना भी गधो का अपमान होगा
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