अंततः प्रवीण शाह और अमित जैन दोनो गधे नहीं बल्कि महागधे ही सिद्ध हुए - भाग एक
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
भड़ास के मंच की विशेषता है कि वह उन मुद्दों की जुगाली नहीं करता जिस पर तमामोतमाम ब्लागर अपनी अपनी ढपली बजा रहे होते हैं। चाहे मिश्र की जनक्रान्ति हो या अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दादागिरी या फिर लीबिया में राजनैतिक स्वार्थों के लिये सड़कों पर हो रहा संघर्ष जिसमें अमेरिका मुंह मार रहा है, भड़ास पर इन सारी बातों से भड़ासियों को कोई सरोकार नहीं रहता। कभी कभार कुछ(शायद एक ही) वरिष्ठ भड़ासी जैसे कि स्वयं डा.रूपेश श्रीवास्तव जी राष्ट्रीय मुद्दों पर अग्निवमन करते हैं।
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
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