अंततः प्रवीण शाह और अमित जैन दोनो गधे नहीं बल्कि महागधे ही सिद्ध हुए - भाग तीन
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
प्रवीण शाह सदस्यता के तौर पर भड़ासी भले न हों लेकिन ई-मेल द्वारा विचार भेज कर भड़ास में शामिल रहते हैं। अभी कुछ समय पहले जब भड़ास पर प्रकाश गोविन्द सरीखे "मुंहचोर" ने इस प्रकरण में भड़ासी शब्दावली का प्रयोग करना शुरू करा जैसे कि प्रकरण में शोध के लिये धन की पेशकश साथ ही ऊपर और "नीचे के बाल" भेजने की बात तो भला भड़ासी जैसे उत्सवप्रिय जमात के लोग कब पीछे रहने वाले थे। जब देखा कि अमित जैन प्रकरणशः दूल्हन बने हैं और प्रकाश गोविन्द और प्रवीण शाह परंपरानुसार "गाली गा रहे हैं" तो भड़ासी भी उसी अंदाज़ में जवाबी मुकाबले में आ गए और इन्हें रगेदना शुरू कर दिया जिस पर प्रकाश गोविन्द की सांस रुक गयी और प्रवीण शाह ढोलक लेकर जनानखाने में भाग चले। शाह ने कहा था कि मुंबई के ब्लागरों को इस प्रकरण पर जांच हेतु बुलाया जाए साथ ही स्वयंभू साइंस के ठेकेदार ब्लागरों की टीम इस बात की जांच करेगी।
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
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