अभिलाषाओं की करवट फिर सुप्त व्यथा का जगना सुख का सपना हो जाना भींगी पलकों
का लगना। - प्रदीप सिंह
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अभिलाषाओं की करवट फिर सुप्त व्यथा का जगना सुख का सपना हो जाना भींगी पलकों
का लगना।
13 घंटे पहले

1 टिप्पणियाँ:
परमवीर,धरमवीर,नग्नवीर,महावीर अमित जैन जी खुजली बाकी है और तब तक खुजाते रहेंगे जब तक कि दानवों,रक्तपिपासु पिशाचों,जिनों की सही पहचान मनुष्यों के सामने ला नहीं देते।
जय जय भड़ास
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