प्रवीण शाह और अमित जैन से थोड़ी भौं-भौं और थोड़ी ढेंचू-ढेंचू
गुरुवार, 5 मई 2011
प्रवीण शाह और अमित जैन से थोड़ी भौं-भौं और थोड़ी ढेंचू-ढेंचू कर रहा हूँ पूरी उम्मीद है कि समझ सकेंगे
प्रवीण शाह से
प्रवीण शाह जी आप सेना में ग्यारह साल पहले मेजर थे ये अच्छी बात प्रतीत हुई। आपकी शिक्षा के बारे में मार्कशीट आदि की बात नहीं करते हुए बस इतना तो बता दीजिये कि किस बटालियन में थे अब क्या घबराना या छिपना जब तक फौज में थे तब तक प्रतिबंध रहा होगा पहचान सहित आइये न, मैं जल्द ही डॉ.रूपेश जी से मिलने उनके घर जाने वाला हूँ?अब तक भड़ास के सदस्य बने या नहीं?क्या वजह है जो स्वयं कह कर भी खुद को प्रकरण से मुक्त नहीं कर पा रहे हैं??
आपके तर्कों से कोई इन्कार नहीं है लेकिन बस इतना बताइये कि यदि आप तर्क की बात कर रहे हैं कि जो आप मानते हैं वही आपके लिये सत्य होता है या जो सत्य होता है उसे आप मानते हैं या जो भी बात तर्क से प्रमाणित हो जाए उसे आप सत्य मानते हैं या आपकी सोच में कोई सत्य सृष्टि में ऐसा नहीं है जो तर्कबाह्य हो??
अब अमित जैन से जरा बात हो जाए.....
अमित जैन तुमने मुझे विद्वता का ढोंग करने वाला बताते हुए लिखा है कि मैं टांग उठा कर मूत्रविसर्जन करता हूँ तो बस इतना बता दो कि तुम किस आसन या मुद्रा में मूतते हो? या संजय कटारनवरे की बात पढ़ते ही अपने आप बिना किसी तैयारी के पतलून में ही छूट जाती है और तुम्हें टाँग उठाने का मौका ही नहीं मिल पाता?मैंने कब इन्कार करा कि ठीकरा मेरे सिर मत फोड़ो?जब भड़ास मे मंच पर आया हूँ तो सिर माथे को इतना मजबूत तो रखना ही चाहिए कि ठीकरे ही नहीं बल्कि तुम जैसे धूर्त यदि मक्कारी का पहाड़ भी मेरे सिर पर पटक दें तो सिर सच्चाई अच्छाई के पक्ष में तना रहे। तुम कार्टून बनाओ और प्रवीण शाह तुम्हारी प्रशंसा करें तो पता चलता है कि दोनो कितने तार्किक और निष्पक्ष हो ये तो दुनिया देख रही है।
दीदे फाड़ कर देख सकते हो अमित कि तुम खुद ही डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के साथ सभी को अंधविश्वासी भी जता रहे हो और फिर थूक कर चाट भी रहे हो कि मैंने नहीं कहा, ये तुम्हारी फ़ितरत है और भ्रमित करने की ट्रिक भी।
तुम शोध किसे कहते हो घटना का वीडियो बनाना उसका यथा संभव तरीके से परीक्षण करना क्या तुम्हें शोध प्रक्रिया न लग कर ऐसा लगता है कि डॉ.रूपेश झक्की और सनकी हैं जो अपने चूतियापे के चलते ये सब कर रहे थे और अभी भी लगे हुए हैं?तुमने अब तक कार्टून बना कर बस अंधविश्वास शब्द की माला फेरने के अलावा क्या करा है? डॉ.साहब ने जो लिखा है तुमने उस पर कोई कार्टून नहीं बनाया क्या उनकी बातों में तुम्हें सत्यता प्रतीत होती है??
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
4 टिप्पणियाँ:
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प्रिय संजय,
१- आप अपनी समझ से जो चाहे अर्थ लगाओ, पर मैं अभी अपने बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं बताना चाहता...
२- मुझे अभी सदस्यता का लिंक नहीं मिला है, वैसे भी मनीषा जी को आपत्ति है इसलिये मैं भी किसी का दिल दुखा यह सदस्यता नहीं चाहता...
३- मैं तुमसे अलग तरीके से कहना चाहूँगा " कोई भी तर्कवाह्य चीज सत्य नहीं हो सकती "...
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प्रवीण शाह जी आपको सदस्यता कड़ी भेजी है।
मनीषा दीदी का दिल दुखाना नहीं चाह्ते लेकिन संजय कटारनवरे का दिल दुखाए हुए हो ये पक्षपात क्यों कर रहे हैं भाई;)कहीं ऐसा तो नहीं कि सिर्फ़ मनीषा दीदी को ही (किसी)मानते हैं;)
सत्य और तर्क में कितना रिश्ता है मेरी सोच कदाचित भिन्न है सत्य तो तर्कातीत ही है इस विषय पर कई लोग मुझसे असहमत हो सकते है तो बने रहें।
जय जय भड़ास
भड़ासी वैसे भी बौद्धिक जुगाली करने वाले ब्लागरों के बीच हमेशा से जाहिल,गालीबाज,गंवार,बुरे,अनपढ़,जिद्दी और ना जाने किन किन अलंकरणों से नवाज़े गए हैं तो यदि अंधविश्वासी भी इसमें जोड़ना चाहें तो कोई हर्ज़ नहीं है। संजय भाई आपका लेखन यकीन मानिये उतना ही पैना है जितना कि भाई रजनीश झा लिखा करते हैं। पनवेल आने से पहले सूचित कर दीजियेगा मिलकर अच्छा लगेगा अजय भाई और भाई दीनबंधु भी आने को कह रहे हैं।
जय जय भड़ास
संजय जी आपको अनूप मंडल का सादर प्रणाम। आप इन राक्षसों से लड़ाई में वैचारिक तौर पर हमारे साथ हैं इसके लिए हम आपके आजीवन आभारी रहेंगे।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
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