भड़ासियों के मुखौटे में सदस्य बने "फनीकाओं" को तलाशिये और लगाम लगाइये

शुक्रवार, 20 मई 2011

प्रवीण शाह जी ने जो शब्द दिया है वह गाली नहीं बल्कि उस बेनामी(Anonymous) की हकीकत जान पड़ता है। ऐसा लगा कि प्रवीण शाह जी एक "डेकोरेटेड सोल्जर" रहने के कारण शत्रु की इस स्ट्रेटजी को समझ गए हैं। हम सब जानते हैं कि भड़ास के लेखक सदस्यों के अलावा कोई भी बेनामी या किसी अन्य नाम से कमेंट बिना मॉडरेटर की परमिशन के नहीं कर सकता है तो फिर कौन है वो फटे कांडोम की पैदाइश जो कि भड़ास में मुखौटा लगा कर घुसा हुआ है। इस चूतिये को तो इसका बाप भी हिजड़ा दिखाई देता होगा तभी तो बेचारा अपना नाम नहीं लिखता। पहले शालू जैन और सुरेश वर्मा के नाम से पड़ोसी को अपना बाप बताता भी था लेकिन उसमें भी ये किसी स्त्री की पैदाइश नहीं बल्कि एक पशुप्रेमी आदमी और गदहिया की हाइब्रिड नस्ल का है।
यदि संचालन पर भरोसा है तो अपने एकाउंट की जगह ई-मेल से पोस्ट करिये इस विषय पर कई बार कहा जा चुका है लेकिन इस मुद्दे पर प्रवीण शाह जी भी कुछ नहीं बोले और न ही अमित जैन। इसमें भेजने वाला जो भी लिखेगा वह प्रकाशित होगा लेकिन संचालक के देखने के बाद लेकिन जब कमेंट करा जाएगा तो वह किसी के सदस्य के साइन इन करने के बाद ही होगा।
डैडी और आदरणीय रजनीश सर से रिक्वेस्ट है कि सिर्फ़ चूतियापे भरे/ गालियों वाले बेनामी कमेंट ही हटाएं। किस पोस्ट पर बेनामी कमेंट आते हैं ये ध्यान से देखिये और फिर "तर्क" करिये खुद ही नतीजे पर पहुंच जाएंगे
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

फिर बोली हिजड़ा , तेरे अंदर कितनी गाली भरी है ,तू किस जानवर और कुतिया की पैदाइश है जरा बता

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

बेटा आयशा,तुम्हारी बात से बेनामी का मुखौटा लगा कर भड़ासियों में घुसे हुए पशुप्रेमी आदमी और गदहिया की हाइब्रिड संतान(तुमने बिलकुल सही लिखा है ये इसी किस्म का वर्णसंकर प्राणी है)फिर बेनामी कमेंट कर रहा है। मूर्ख लिख रहा है कि फिर बोली हिजड़ा, कितनी गाली भरी है तेरे भीतर...तुम किस जानवर की पैदाइश हो...
अब इस चूतियम सल्फ़ेट की बनी हड्डियों वाले लेंडीबहादुर से कोई पूछे कि क्या गाली अकारण दी गयी है। इसकी बहन को यदि कोई अभद्र भाषा बोले तो ये उसे जीजाजी कह कर बात करता होगा। ऐसे षंढ बौद्धिकों को भड़ासी अपना मूत का भी आचमन न करने दें।
हम घोषित तौर पर बुरे, गंदे, अनपढ़, जाहिल, गालीबाज किस्म के लोग हैं तुम अगर सामने आओ तो मेरी बहन बेटी के साथ बदतमीजी करने पर मैं तुम्हें नंगा करके तुम्हारे पिछवाड़े खजूर का पेड़ घुसा दूंगा।
ये है भड़ास का दार्शनिकता पूर्ण अंदाज....
पूर्ण विश्वास है कि पसंद आया होगा। हम किसी शत्रु की मां बहन बेटी पत्नी का उतना ही सम्मान करते हैं जितना कि अपने संबंधियों का तुम्हारी तरह कमीने नहीं हैं कि मुंह छिपा कर बेटी के साथ बलात्कार करो सुअर के पिल्ले। आशा है मेरा अंदाज पसंद आ रहा होगा। ये बिलकुल भी नया नहीं है मैं सदा से ऐसा ही हूं :)
जय जय भड़ास

अनोप मंडल ने कहा…

आदरणीय आपने जिस तरह का उत्तर दिया है वही अंदाज और सोच है जो हमें आपको नमन करने को बाध्य करता है। आपने इन छिपे हुए नरपशुओं को जवाब देने में जो वाकहिंसा करी है वह सत्यतः अनुकरणीय है।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव

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