आदरणीय प्रवीण शाह जी झूठ और पक्षपात का सिलसिला आपने शुरू करा है खत्म मैं करूंगा
बुधवार, 15 जून 2011
आदरणीय प्रवीण शाह जी जो सवाल उठाए हैं वे मात्र मेरे नहीं हैं। सोच की अभिव्यक्ति यदि सफ़ेद रंग के ऐसे झूठ के रूप में है जो कि पकड़ में आ जाए तो भी यदि आपके अनुसार जायज़ है तो मेरी अभिव्यक्ति में इसे धूर्तता कहते हैं क्योकि व्यक्ति अपराधबोध से मुक्त होकर जो भी कर रहा है वह सही है या गलत ये कौन निर्धारित करेगा। आपने किसी भी सवाल का आज तक जवाब नहीं दिया है मात्र ये कह देना कि "नो कमेंट्स" या चुप्पी साध लेना भी आपका उत्तर है तो हम इसी को धूर्तता कहते हैं। कदाचित आप इस अभिव्यक्ति को उत्तेजनापूर्ण कहेंगे जैसे संजय(प्रिय?)के बारे में आपने लिखा है।
क)आप लिखते हैं कि मैंने दो पोस्ट्स के गायब होने की बात अपने कमेंट में स्वीकारी लेकिन उसी कमेंट को चित्र के रूप में प्रकाशित करके आपके सफ़ेद झूठ के सामने आने पर आप कुछ न बोले इसका क्या कारण है?
ख)ब्लागर के मेन्टेनेंस की आड़ लेकर आपने जो स्क्रीन शाट्स प्रस्तुत करे उनकी पोल मनीषा दीदी ने सबके सामने खोल कर रख दी तब आपका तर्क है कि आप सही हैं ऐसा हुआ था यानि कि संचालक सबके प्रोफ़ाइल पर जा जा कर हैकिंग करके उनके नाम बदल देते हैं क्या ये आरोप आपको साधारण लगता है??
ग)आपने जिस तरह से काले जादू के विमर्श में भाग लिया उसमें आपने क्या तर्क और आधार दिये नकारने के लिये कि उन सारी बातों पर यकीन करने वाले लोगों जिनमें मैंभी शामिल हूं आप अंधविश्वासी सिद्ध कर सकें???
घ)भड़ास अमर है नतीजे तक पहुंचे बिना कुछ भी समाप्त नहीं होगा सिलसिला तो अनंत काल तक चलने वाला है जब तक उसका अंत नहीं होता। आप बताइये कि तंत्र-मंत्र प्रकरण की जांच करके उसे अंधविश्वास सिद्ध करने आपकी तरफ से कौन आ रहा है????
च)आप तर्क और साइंस के कौन से पहलू रखने वाले हैं तंत्र-मंत्र के विचार विमर्श में????
छ)अमित जैन की पत्नी के साथ उनका जो चित्र उन्होंने प्रकाशित करा था क्या आपने उसे देखा है जो आप अनूप मंडल के ये लिखने पर कि अमित गलबहियों में व्यस्त हैं आपको आपत्तिजनक लगा जबकि इस बात का संदर्भ संजय कटारनवरे की माता जी के संबंध में अमित जैन द्वारा करी गयी अनर्गल बात के संदर्भ में था????? यदि नहीं देखा है तो आप संचालक पर पक्षपात का आरोप कैसे लगा कर लिख रहे हैं क्या यही आपकी सोच है?????
ज)आपने मुनेन्द्र सोनी को अनूप मंडल का भाविक बना दिया क्या और उन्होंने आपको जैन इस विषय पर आपकी सोच की अभिव्यक्ति क्या है?????
झ)आप भड़ास पर ई-मेल द्वारा लिखने के पक्षधर हैं या विरोध में? अमित जैन से जब कई बार आग्रह करा गया कि वो अपना माफ़ीनामा ई-मेल से प्रस्तुत करें तो आपने इस बात पर अपनी सहमति क्यों नहीं जताई जबकि आप जानते हैं कि अपने एकाउंट से भेजी हुई पोस्ट में कभी भी लेखक या संचालक कुछ भी संपादन/डिलीट कर सकता है जबकि ई-मेल से आयी पोस्ट में संचालक को पता तक नहीं चलता कि वह पोस्ट किसने भेजी है जब तक आई.पी.पता न ट्रेस करा जाए, लेखक उस पोस्ट में संपादन/डिलीट नहीं कर सकता।
आप नहीं चाहते कि आपका ई-मेल पता सार्वजनिक करा जाए या आपकी पहचान जाहिर हो तो बकौल अमित जैन आप भी मेरे द्वारा बनाए एक फ़र्जी आई.डी.ही हो सकते हैं क्या कहना चाहेंगे आप इस बारे में?????
ट)मैंने आपको आजतक कोई गाली नहीं दी है जबकि मैं देख रहा हूं कि आप इस बात का आग्रह रखे हैं कि मैं भी अनावश्यक गाली देता हूं। क्या जब कोई आपकी बहन बेटी के बारे में अपशब्द लिखे तो आपकी सोच की क्या अभिव्यक्ति रहती है?????????
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
भाईसाहब आपने जो लिखा है कमोबेश वही सब मैं भी लिखना चाहती थी क्योंकि मैं देख रही हूं कि प्रवीण शाह जी ने तो वाकई आप संचालकों पर आरोप लगा कर माहौल को खराब करा है। उनका तर्क बस इतना रहता है कि वे सच्चे बाकी सब झूठे...
है न कमाल का तर्क?
प्रवीण शाह जी भड़ास के अमर होने के कारण हम मुद्दे नहीं चबाते बल्कि उन्हें निगलते हैं, पचाते हैं और नतीजा सामने रख देते हैं वह उल्टी के रूप में हो या दस्त के रूप में लेकिन हम विषाक्तता के भय से मुद्दा निगलने से नहीं डरते। आपको जरूरत पर गाली देना बुरा लगता है तो बताएं कि मनीषा दीदी या मैं गुस्सा, नाराज़गी कैसे व्यक्त करूं?
जय जय भड़ास
गुरुजी आप इस महा धूर्त आदमी से ये उम्मीद मत करिये कि ये कोई उत्तर देगा इसकी चालाकियां हम सबको पता हो चुकी ही हैं। इसने आज तक माताजी की मृत्यु के बारे में चल रहे प्रकरण की जांच के लिये किसी को नहीं भेजा। चूतिया की तरह कभी अमित जैन की बीवी के बारे में उसको सहमति देगा कभी जैन धर्म की भंकस करेगा। खुल कर झूठ लिखता है कि आपने माना है कि दो पोस्ट गायब हुई हैं और मक्कार आपके कमेंट की लिंक भी देता है लेकिन जब इसकी फाड़ी जाती है तो चुप्पी साध लेता है। आयशा के लिये गालियां लिखता है बिना नाम से तो ऐसे लोगों के लिये अजय जी का तरीका ही सही है। तर्क की बात करा करता है जब इसका झूठ मनीषा दीदी ने सामने ला दिया तो बोलता है मैं सच हूं बाकी सब झूठ,ये है इस नीच का तर्क जो आप पर पक्षपात का भी आरोप लगाता है लिखता है कि भड़ास पर अनूप मंडल का कब्जा है....
आयशा वाली सारी गालियां इसे एक बार दोबारा...
फनीका है ये ही जो भड़ास में मुखौटा लगा कर घुसा है।
जय जय भड़ास
प्रवीण शाह जी आपकी सेवा में ये सवाल पुनः प्रस्तुत कर रहा हूं सिर्फ़ ये देखने के लिये कि आप कितने निष्पक्ष और सत्य के पक्षधर हैं। आपके तर्कों को भी देखना चाहता हूं जिन्हें आप अक्सर बताते जताते हैं कि आप तर्क द्वारा सिद्ध बात को ही सत्य मानते हैं।प्रतीक्षा है क्योंकि आपने कहा है कि आप अपनी पोस्ट में ही उत्तर देंगे जो कि आपने अब तक नहीं दिये हैं। यकीन मानिये कि ये सिलसिला अनंत काल तक चलने वाला है क्योकि आपने अत्यंत गम्भीर आरोप लगाए हैं।
इस पोस्ट को दोबारा सबसे ऊपर लगाया जा रहा है ये सिर्फ़ एक संचालक ही नहीं बल्कि लेखक सदस्य भी कर सकता है।
जय जय भड़ास
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