अमित जैन,यदि साहस है तो डा.साहब को जवाब दे.....डा.रूपेश श्रीवास्तव की जय हो
बुधवार, 18 मई 2011
मक्कार राक्षस क्या बात है सबको भाड़ में जाने की बात कह कर भी तू हम सबमें ही कमियां दिखाने की सदियों पुरानी राक्षसी तरकीब अपना रहा है। डा.साहब ने तुझे कितना रगड़ा है फिर भी तू निर्लज्जता से खड़ा है। न तो तूने अब तक ई-मेल से माफ़ीनामा भेजा है न तूने अपनी पत्नी के साथ वाली तस्वीर प्रकाशित करी जिसके कारण तूने और तेरे वकील प्रवीण शाह ने आदरणीय डा.साहब पर पक्षपात का आरोप लगाया। यदि साहस है तो डा.साहब को जवाब दे न; पता चल रहा है कि डंडा किसे हुआ है और उछल उछल कर हग कौन रहा है?तूने हम सबमें से किसी को भड़ास के संचालकों में से एक मान लिया ये तो हमारे लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है। अभी तो तू जितना चाहे असभ्य भाषा लिख ले आने वाले समय में तू गालियां लिखता हुआ अपना मुंह काला करके भागेगा जब ऐसे ही रगड़ा जाता रहेगा।
हम तो भड़ास के आदरणीय संचालकों का जीवन पर्यंत आभार मानेंगे जिन्होंने हमारी इतनी लम्बी लड़ाई को मंच प्रदान करा वरना सारा मीडिया और प्रेस तो तुम राक्षसों के धन-बल के प्रभाव में है। तुम्हारी सही राक्षसी पहचान इंसानों के सामने आने पर देववंशी मनुष्य तुम्हारा क्या हाल करेंगे तुम खुद देख लेना तुम्हारा स्वर्गरूपी धरती पर कब्जे का स्वप्न कभी पूरा नहीं होगा चाहे लाख जपते रहो जयति जिन शासनम ।धरती पर जिनों-पिशाचों का राज्य कभी नही हो पाएगा अब हमारी लड़ाई को एक निष्पक्ष मंच मिल गया है। तुम राक्षस जो सदियों से हिंदू-मुस्लिम या वर्ग और वर्ण संघर्ष कराने का षडयंत्र करते आ रहे हो अब उसकी इस वैश्विक मंच से पोल खुलेगी और तुम सब मरोगे।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
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