प्रवीण शाह जी,भड़ास के संचालक का पक्ष भी तो जान लीजिये

मंगलवार, 17 मई 2011

पहली बात- आपके अनुसार भड़ास पर अनूप मंडल का कब्जा है तो सिर्फ़ आप और अमित जैन ऐसे हैं जिन्हें फ़र्क दिखेगा तो आपकी अगली पोस्ट में फ़र्क बताइए दूसरा कोई भी इस विषय पर लिखेगा तो आपको पूर्वाग्रह ग्रस्त प्रतीत होगा।और कुछ मत लिखिएगा इससे पहले ये निवेदन है क्योंक आप गम्भीर आरोप लगा रहे हैं।
दूसरी बात- संजय की बातों का वे ही बेहतर उत्तर दे सकते हैं।
तीसरी बात- विचारधारा के बारे में स्वतंत्र राय क्या है ये नहीं जानना चाहा आपने। जो हरामीपन करेगा हम उसके साथ ऐसा ही करेंगे ये है भड़ास की शैली है। हरामीपन जानने के लिये आप यदि आप उन पोस्ट्स को पढ़ कर भी ऐसा कर रहे हैं तो विचार करिये कि क्या आपके साथ अब तक ऐसा हुआ है मेरे द्वारा??
चौथी बात-गालियां देने में ही नहीं जुतियाने में भी भड़ासियों की बराबरी कोई नहीं कर सकता। जो लोग आफ़लाइन हरामीपन करते हैं उन्हें जुतिया भी दिया जाता है क्योंकि हम बौद्धिक नहीं हैं कि झूठी शराफ़त के तमगे के लिये विरोध में गाली-जूता न कर सकें। भड़ास का जीवन दर्शन ही यही है यदि आप इससे भिन्न हैं तो आप कहीं और जगह खुल कर सांस ले सकेंगे जहां लोग अपने चरित्र की सड़ांध पर बनावटी ढकोसलों की बौद्धिकता का इत्र डाल कर ब्लागिंग करते हैं। हमें गुंडा, मवाली, लुक्खा, आवारा, बदमाश, अनपढ़, जाहिल, बुरे लोग जैसे विशेषणों से कोई फर्क नहीं पड़ता जिनमें से एक भी अगर किसी बौद्धिकता का मुखौटा लगाए ब्लागर को कह दिया जाए तो पिछवाड़े मिर्च का गोदाम खुल जाता है जबकि इतने नीच और कमीने पड़े हैं कि गिनना मुश्किल है। इस बात को तो शमा काव्या दीदी और डा। दिव्या श्रीवास्तव जैसी तमाम महिलाएं बता सकती हैं कि ब्लाग संसद या राजसिंहासन से जैसे महान ब्लागों को चलाने वालों ने कितने महान कार्य करे हैं।
पहले आप इन बातों को साफ़ करिये तब आगे लिखें।
आप भड़ास पर हैं तो अवश्य भड़ास निकालिये लेकिन आरोप थोपने के बाद स्पष्ट अवश्य करिये।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

अजय मोहन ने कहा…

भाईसाहब आप इन चूतियों को सहन कैसे कर रहे हैं जबकि ये साले आप पर आरोप पर आरोप लगाए जा रहे हैं। लिख कर दे रहा हूं प्रवीण शाह कि अगर तुम मुंबई आए और मुझे मिले तो तुम्हें एक भी गाली न दूंगा बल्कि पटक कर तब तक घसीटूंगा जब तक तुम सच न बोलने लगो। इसी बहाने वर्जिश भी हो जाएगी और ये भी देख लूंगा कि तुमने सेना में मेजर के पद तक आते आते क्या करा है कितना जोर है तुममें;)
जय जय भड़ास

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

कौन मा....चो... कह रहा है की भड़ास पर किसी का कब्जा है, भड़ास एक विचारधारा है जो किसी एक चूतिये से नहीं बल्कि भडासी का सम्मिलित प्रयास है, इस पर अगर कोई पक्ष या विपक्स का आरोप मढने की कोशिश करता है तो या तो वो निरा मुरख है या फिर बड़ा ही शातिर क्यूँ की जिसने भड़ास के दर्शन को जिया है वो जानते हैं भड़ास क्या है.

मंच का सदुपयोग करें.

जय जय भड़ास

दीनबन्धु ने कहा…

कौन मा....चो... कह रहा है की भड़ास पर किसी का कब्जा है,
याद रहे कि भड़ासी किसी की मां-बहन को गाली नहीं देते और रजनीश जी की बात का कोई गलत अर्थ लगाए इससे पहले मैं रिक्त स्थान की पूर्ति कर देता हूं-
मा ख न चो र
यानि भड़ास के दूध को मथने से जो मक्खन निकल रहा है उसे चुराने की नियत रखता है ;)
प्रवीण शाह को जवाब मिल गया संतुष्टि मिली या नहीं वो खुद बताएंगे और अमित जैन अब खुद का कार्टून तलाश रहा होगा।
जय जय भड़ास

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