रविवार, 8 मई 2011
भड़ास के दर्शन को चयनित प्रयोग में नहीं लिया जा सकता। दोनो मॉडरटर्स में से मैं इस बात का सीधा उत्तर दे रहा हूँ। प्रवीण शाह जी तो कदाचित उस समय भड़ास पर मौजूद नहीं थे लेकिन कम से कम मैं तो जानता हूँ कि आपने जो तस्वीर लगा रखी थी वह पत्नी के साथ गले में बाँह डाल कर ही थी। आपको ये बात उस वक्त आपत्तिजनक नहीं लगी लेकिन जब संजय कटारनवरे की माँ के बारे में मैंने कहा कि इस प्रकार लिखना गलत है तो आपको लगा कि आपकी पत्नी के प्रति दुर्भाव रख कर लिखा गया था। आप खुद ही बता दीजिये कि आपने जो तस्वीर उस समय लगा रखी थी वह आपकी पत्नी के साथ किस मुद्रा में थी?आप खुद इस तरह की तस्वीर लगा रहे हैं और यदि उस पर अनूप मंडल ने जो लिखा तो आपको उस वक्त यदि पीड़ा हुई थी तो आपत्ति दर्ज कराना चाहिए थी कि अनूप मंडल आपकी पत्नी के बारे में कुछ गलत लिख रहा है लेकिन विचार करके बताइये कि क्या वह बातआपके लिये थी या आपकी पत्नी के लिये जैसा कि आपने संजय कटारनवरे की माँ के लिये लिखा है। आपसे निवेदन है कि आप अपनी वह तस्वीर पुनः भड़ास पर प्रेषित करें और राय जान लें कि अनूप मंडल ने जो लिखा था वह किस हद तक आपकी पत्नी के प्रति दुर्भाव पूर्ण था। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरे लिये आपकी पत्नी का सम्मान भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि संजय कटारनवरे की माताजी का जिनका आप इंटरव्यू लेना चाहते हैं।
प्रवीण शाह जी ने जो सवाल लिखा है उस पर चुप्पी कभी नहीं रही बल्कि इतना लिखा गया कि लोग बौखला गये हैं और विषय से इधर-उधर होने लगे। क्या आपने पढ़ा नहीं कि प्रत्यक्षदर्शियों में कौन-कौन था इसमें अनूप मंडल से संबद्ध व्यक्ति कोई नहीं था। प्रत्यक्षदर्शी होना तो आप लोगों के लिये वैसे भी कभी इस प्रकरण में महत्त्वपूर्ण नहीं रहा क्योंकि आप लोगों के अनुसार वहाँ मौजूद सभी लोग भ्रमित थे इसलिये वीडियो के परीक्षण को आगे बढ़ाया गया, जो बात आँख नहीं देख सकी होगी वह कैमरे का लेंस बिना किसी भ्रम मे पकड़ सका होगा। प्रवीण शाह जी आप अब भड़ास के मंच पर अधिकृत तौर पर आ गये हैं तो आप भी बताएं कि उस "पपीता प्रकरण" में मैंने निजी तौर पर जो प्रयास करे, उस तांत्रिक पर जो कि मेरी हृ्दयस्थ माँ को बचाने का ही प्रयास कर रहा था भले ही वह उसका पाखंड रहा हो मैंने हरगिज विश्वास नहीं करा, उस पूरे प्रकरण का अपने कैमरे से वीडियो बनाया, उस वीडियो का साइबर फ़ॉरेन्सिक साइंस की परास्नातक अध्येता एक भड़ासी के सुझाव अनुसार मौजूद प्रक्रियाओं से परीक्षण करने का प्रयास करा.... उनके आगे आप क्या सुझाव देते हैं साथ ही आप स्पष्ट करें कि आपने क्या सुझाव दिये थे जो हमने नहीं माने। आपने ब्लॉगरों की एक वैज्ञानिक समिति परीक्षण के लिये सुझायी थी मैंने इस बात से कभी इन्कार नहीं करा आप अभी भी वैज्ञानिक होने या शोधार्थी होने की योग्यता रखने वाले ब्लॉगरों को आमंत्रित करिये मैं तैयार हूँ। इसी प्रकरण में एक सज्जन प्रकाश गोविन्द कुछ धन के सहयोग का हाथ बढ़ा कर आगे आए थे जो कि दोबारा उनके कथन "नीचे के बाल" पर कुछ भड़ासियों द्वारा लिखे जाने पर पुनः पधारे ही नहीं।किसी घटना के चित्रों और वीडियो के परीक्षण के लिये फ़ॉरेन्सिक विशेषज्ञों का साक्षी के तौर पर होना कितना आवश्यक रहता है ये बताएं।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
आप सब देखिए कि विषय को इसने किधर तक घुमाया है और अब माफ़ी माँग रहा है कि आत्मन संजय कटारनवरे जी की माताजी के लिये लिखी अपमानजनक बात व्यंग थी, इस धूर्त ने जो लिखा उसमें प्रवीण शाह भी हाँ में हाँ मिला रहा था अब वो किधर है जो भड़ास के दर्शन में डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के ऊपर पक्षपात का आरोप लगा रहा था। प्रकाश गोविन्द जैसे लोग तो भगोड़े होते हैं जो कि बौद्धिकता की नुमाइश करके भाग जाते हैं
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
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