पत्नी के साथ गलबहियों में व्यस्त हो - ये बात भड़ास दर्शन के विरुद्ध नहीं है ?
रविवार, 8 मई 2011
अमित जैन....... तुम तो महावीर सेमलानी और संजय बेंगाणी जैसे ही कायरता दिखा रहे हो। क्या हमने अकारण ही तुम्हारी बहादुरी की तारीफ़ कर दी थी या पत्नी के साथ गलबहियों में व्यस्त हो जैसा कि तस्वीर में दिखते हो
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डॉ साहब ये पोस्ट २६ जनवरी २०११ को अनूप मंडल के द्वारा लिखी गई थी , जब शायद भड़ास का दर्शन अलग था ,
या ये बात आप की नजर मे मेरी पत्नी से संबधित नहीं थी ? ,
या इस बात को आपकी मौन स्वीकृति थी ?
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@ये बात भड़ास के दर्शन के विरुद्ध है कि हम एक दूसरे की माँ, बहन, बेटी या पत्नी के बारे में कोई असंबद्ध बात लिखें।
डॉ साहब ये पोस्ट २६ जनवरी २०११ को अनूप मंडल के द्वारा लिखी गई थी , जब शायद भड़ास का दर्शन अलग था ,
या ये बात आप की नजर मे मेरी पत्नी से संबधित नहीं थी ? ,
या इस बात को आपकी मौन स्वीकृति थी ?
2 टिप्पणियाँ:
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बहुत सटीक मित्र अमित,
एकदम सही मुद्दा उठाया है, भड़ास के दर्शन को सेलेक्टिवली प्रयोग नहीं किया जा सकता... मॉडरेटरों के जवाब की जरूरत है यहाँ... अनूप मंडल की उस पोस्ट पर सुविधाजनक मौन क्या कहता है ?... मेरा यह आकलन गलत नहीं है कि कई भड़ासी ' भाविक ' बन चुके हैं... अब यही देखो कि, "पपीता प्रकरण के प्रत्यक्षदर्शियों में 'अनूप मंडल' कौन था ?"... इस सवाल के जवाब नें चुप्पी साध ली गई है !
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तुम तो जरूर बोलोगे के राक्षसों के वकील प्रवीण शाह, तुमने देखा था कि हमने क्या लिखा था या बस ऐसे ही मुंह मारने चले आए उसे नैतिक समर्थन देने के लिये?
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
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