आज एक सूचना मात्र : प्रवीण शाह
शुक्रवार, 27 मई 2011
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आदरणीय डॉ० रूपेश श्रीवास्तव जी ने कुछ सवाल उठाये हैं... प्रिय संजय भी अपनी पोस्ट में कुछ उत्तेजित से नजर आते हैं... जबकि लगभग सभी सवालों का जवाब मैं कभी न कभी अपने आलेख या टिप्पणियों में दे चुका हूँ...
मैं भड़ास या अपने अन्य ब्लॉगों में अन्य विषयों पर भी लिखना चाहता हूँ... इसलिये आज कह रहा हूँ कि जिसको जो भी आरोप मुझ पर लगाना हो, अपशब्द कहने हों या स्पष्टीकरण माँगना हो वह यहीं इस पोस्ट पर माँग ले... आखिर अनंत काल तक तो यह सिलसिला नहीं चल सकता...
ब्लॉगिंग मेरे लिये पोस्टों, घटनाक्रमों व विभिन्न प्रकरणों पर अपनी सोच की अभिव्यक्ति मात्र है... मैं जो सोचता हूँ वही लिख देता हूँ... किसी एजेंडा या विचारधारा का प्रचार-बढ़ाव मेरी ब्लॉगिंग का हिस्सा नहीं रहा कभी... मैं यह भी मानता हूँ कि मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं व्यक्तित्व नहीं...
मैं पूरे एक सप्ताह तक सभी साथियों की ईमानदार प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूँगा व उसके बाद एक ही पोस्ट में उन सबका जवाब दूँगा...
आभार आप सभी का !
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आदरणीय डॉ० रूपेश श्रीवास्तव जी ने कुछ सवाल उठाये हैं... प्रिय संजय भी अपनी पोस्ट में कुछ उत्तेजित से नजर आते हैं... जबकि लगभग सभी सवालों का जवाब मैं कभी न कभी अपने आलेख या टिप्पणियों में दे चुका हूँ...
मैं भड़ास या अपने अन्य ब्लॉगों में अन्य विषयों पर भी लिखना चाहता हूँ... इसलिये आज कह रहा हूँ कि जिसको जो भी आरोप मुझ पर लगाना हो, अपशब्द कहने हों या स्पष्टीकरण माँगना हो वह यहीं इस पोस्ट पर माँग ले... आखिर अनंत काल तक तो यह सिलसिला नहीं चल सकता...
ब्लॉगिंग मेरे लिये पोस्टों, घटनाक्रमों व विभिन्न प्रकरणों पर अपनी सोच की अभिव्यक्ति मात्र है... मैं जो सोचता हूँ वही लिख देता हूँ... किसी एजेंडा या विचारधारा का प्रचार-बढ़ाव मेरी ब्लॉगिंग का हिस्सा नहीं रहा कभी... मैं यह भी मानता हूँ कि मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं व्यक्तित्व नहीं...
मैं पूरे एक सप्ताह तक सभी साथियों की ईमानदार प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूँगा व उसके बाद एक ही पोस्ट में उन सबका जवाब दूँगा...
आभार आप सभी का !
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2 टिप्पणियाँ:
आदरणीय प्रवीण शाह जी जो सवाल उठाए हैं वे मात्र मेरे नहीं हैं। सोच की अभिव्यक्ति यदि सफ़ेद रंग के ऐसे झूठ के रूप में है जो कि पकड़ में आ जाए तो भी यदि आपके अनुसार जायज़ है तो मेरी अभिव्यक्ति में इसे धूर्तता कहते हैं क्योकि व्यक्ति अपराधबोध से मुक्त होकर जो भी कर रहा है वह सही है या गलत ये कौन निर्धारित करेगा। आपने किसी भी सवाल का आज तक जवाब नहीं दिया है मात्र ये कह देना कि "नो कमेंट्स" या चुप्पी साध लेना भी आपका उत्तर है तो हम इसी को धूर्तता कहते हैं। कदाचित आप इस अभिव्यक्ति को उत्तेजनापूर्ण कहेंगे जैसे संजय(प्रिय?)के बारे में आपने लिखा है।
क)आप लिखते हैं कि मैंने दो पोस्ट्स के गायब होने की बात अपने कमेंट में स्वीकारी लेकिन उसी कमेंट को चित्र के रूप में प्रकाशित करके आपके सफ़ेद झूठ के सामने आने पर आप कुछ न बोले इसका क्या कारण है?
ख)ब्लागर के मेन्टेनेंस की आड़ लेकर आपने जो स्क्रीन शाट्स प्रस्तुत करे उनकी पोल मनीषा दीदी ने सबके सामने खोल कर रख दी तब आपका तर्क है कि आप सही हैं ऐसा हुआ था यानि कि संचालक सबके प्रोफ़ाइल पर जा जा कर हैकिंग करके उनके नाम बदल देते हैं क्या ये आरोप आपको साधारण लगता है??
ग)आपने जिस तरह से काले जादू के विमर्श में भाग लिया उसमें आपने क्या तर्क और आधार दिये नकारने के लिये कि उन सारी बातों पर यकीन करने वाले लोगों जिनमें मैंभी शामिल हूं आप अंधविश्वासी सिद्ध कर सकें???
घ)भड़ास अमर है नतीजे तक पहुंचे बिना कुछ भी समाप्त नहीं होगा सिलसिला तो अनंत काल तक चलने वाला है जब तक उसका अंत नहीं होता। आप बताइये कि तंत्र-मंत्र प्रकरण की जांच करके उसे अंधविश्वास सिद्ध करने आपकी तरफ से कौन आ रहा है????
च)आप तर्क और साइंस के कौन से पहलू रखने वाले हैं तंत्र-मंत्र के विचार विमर्श में????
छ)अमित जैन की पत्नी के साथ उनका जो चित्र उन्होंने प्रकाशित करा था क्या आपने उसे देखा है जो आप अनूप मंडल के ये लिखने पर कि अमित गलबहियों में व्यस्त हैं आपको आपत्तिजनक लगा जबकि इस बात का संदर्भ संजय कटारनवरे की माता जी के संबंध में अमित जैन द्वारा करी गयी अनर्गल बात के संदर्भ में था????? यदि नहीं देखा है तो आप संचालक पर पक्षपात का आरोप कैसे लगा कर लिख रहे हैं क्या यही आपकी सोच है?????
ज)आपने मुनेन्द्र सोनी को अनूप मंडल का भाविक बना दिया क्या और उन्होंने आपको जैन इस विषय पर आपकी सोच की अभिव्यक्ति क्या है?????
झ)आप भड़ास पर ई-मेल द्वारा लिखने के पक्षधर हैं या विरोध में? अमित जैन से जब कई बार आग्रह करा गया कि वो अपना माफ़ीनामा ई-मेल से प्रस्तुत करें तो आपने इस बात पर अपनी सहमति क्यों नहीं जताई जबकि आप जानते हैं कि अपने एकाउंट से भेजी हुई पोस्ट में कभी भी लेखक या संचालक कुछ भी संपादन/डिलीट कर सकता है जबकि ई-मेल से आयी पोस्ट में संचालक को पता तक नहीं चलता कि वह पोस्ट किसने भेजी है जब तक आई.पी.पता न ट्रेस करा जाए, लेखक उस पोस्ट में संपादन/डिलीट नहीं कर सकता।
आप नहीं चाहते कि आपका ई-मेल पता सार्वजनिक करा जाए या आपकी पहचान जाहिर हो तो बकौल अमित जैन आप भी मेरे द्वारा बनाए एक फ़र्जी आई.डी.ही हो सकते हैं क्या कहना चाहेंगे आप इस बारे में?????
ट)मैंने आपको आजतक कोई गाली नहीं दी है जबकि मैं देख रहा हूं कि आप इस बात का आग्रह रखे हैं कि मैं भी अनावश्यक गाली देता हूं। क्या जब कोई आपकी बहन बेटी के बारे में अपशब्द लिखे तो आपकी सोच की क्या अभिव्यक्ति रहती है?????????
जय जय भड़ास
प्रवीण शाह जी क्या इस पोस्ट के बाद भड़ास से सदस्यता छोड़ने का इरादा बना रहे हैं क्योंकि बात तो तब तक खत्म नहीं होगी जब तक आप और अमित जैन डा.साहब की माताजी की मृत्यु के विषय में चल रही चर्चा पर अपनी स्थिति को अमल में लाकर हम सब को अंधविश्वासी नहीं सिद्ध कर देते ध्यान रहे कि तर्क करिये न कि बस मैं सच्चा..मैं सच्चा... की माला फ़ेरें।
अपने वैज्ञानिकों का दल या खुद आकर प्रकरण की जाँच करिये या करवाइये सारा खर्च हम उठानें को तैयार हैं; घटना है, साक्ष्य है, प्रयास हैं.... आप किसी कोने में बैठ कर तुरही मत फूंकिए कि हम सब अंधविश्वासी हैं हम वैज्ञानिक सोच रखते हैं इसलिये प्रयत्न कर रहे हैं आप सिर्फ़ तर्क(?)की बात करते हैं वो भी मक्कारी भरे और हम तथ्य सामने रखने की बात करते हैं। आप मुंबई आइये साथ में अमित जैन को भी ले आइये। आपने सचमुच अब तक जो भी लिखा वह मात्र आरोप या षड़यंत्र ही प्रतीत हुआ है और साबित भी करा गया है।
जय जय भड़ास
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