बस कुछ लोग और उनकी करतूतें

शुक्रवार, 27 मई 2011

पहला धूर्त जिसे मैंने भड़ास पर पाया तो देखा कि वह भड़ासी होने का मुखौटा लगा कर मक्कारी दिखा रहा था वह है रणधीर सिंह सुमन, ये हर जगह जा कर nice लिख कर अपनी मनहूसियत भरी गंद फैला देता है। यह सिर्फ़ मुस्लिम वोट अपने आकाओं के लिये जुटाने की जुगत में न जाने क्या क्या लिख कर साम्यवाद की उल्टियां करता है जबकि इसका साम्यवाद और ये दोनो झूठे हैं।

दूसरा धूर्त है गुफ़रान सिद्दिकी जो कि इस्लामिक कट्टरता की बात करके जो कहना चाहता है उसे हमवतन भाई होने के मखमली पैकेट में लपेट कर लाता है।
डा.दिव्या श्रीवास्तव ये भड़ासी नहीं हैं लेकिन आदरणीय डा.रूपेश श्रीवास्तव जी इन्हें बहन मानते हैं। ये खुद को सबसे अधिक विद्वान मानती हैं लेकिन इनकी सोच में जंग लग चुका है इसलिये ब्लागिंग में अपनी सोच से ये लिख कर समाज में बदलाव लाना चाहती हैं। इनकी सोच में निशाप्रिया भाटिया गलत हैं और ये बहुत समझदार हैं पर समझदारी भरा जवाब देने में सारी कुटिलता उतार लेती हैं, बहन बन जाती हैं, स्त्री बन जाती हैं।
आगे हैं प्रवीण शाह और अमित जैन की जोड़ी जो सबके सामने है। इन दोनो में अमित जैन थोड़ा मूर्ख लेकिन प्रवीण शाह कपटी है। इन दोनो ने खूब आरोप लगाये हैं भड़ास के संचालन पर लेकिन जब पकड़े जाते हैं तो चुप हो जाते हैं।
जय जय भड़ास

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