अब अनूप मंडल के अनुसार मुस्लमान भी अन्ना हजारे के खिलाफ हो गए --व्यवस्था तोड़ने में लगे हैं अन्ना: खुर्शीद
सोमवार, 8 अगस्त 2011
ये समाचार यहाँ से लिया गया है अब बोलो मुस्लिम राक्षस है
नई दिल्ली. जनलोकपाल के लिए आंदोलन कर रहे गांधीवादी अन्ना हजारे को दिल्ली पुलिस ने भले ही 16 अगस्त से जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं दी है, पर इस जगह हर साल 2000 से भी ज्यादा धरना-प्रदर्शन होते हैं और इनमें तीन से पांच लाख तक लोग शामिल होते हैं। यह आंकड़ा दिल्ली पुलिस द्वारा ही दिया गया है।
सरकार ने अन्ना के अनशन को लेकर चिंता जताई है। दिल्ली में सोमवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अन्ना के अनशन के लिए जगह मुहैया कराने का फैसला सरकार को नहीं करना है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस पर है और वहीं अनशन के लिए जगह को लेकर अनुमति दे सकती है। वहीं प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दावा किया कि अन्ना के रवैये को लेकर केवल सरकार ही नहीं बल्कि सभी सांसदों की चिंता बढ़ी है। सरकार की ओर से संसद में पेश लोकपाल बिल का विरोध करने पर संवैधानिक व्यवस्था चरमराने की चिंता है। उन्होंने कहा, ‘संसद पर प्रश्नचिन्ह लगाना अपने आप पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है।’
पुलिस ने अन्ना को यह कहते हुए जंतर मंतर पर 16 अगस्त से अनशन शुरू करने की इजाजत नहीं दी कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ जाएगी। पर 16 अगस्त से पहले ही जंतर मंतर अन्ना के रंग में रंग गया। रविवार की शाम हजारों लोग जनलोकपाल व अन्ना के समर्थन के नारे लिखी तख्तियां लिए, गांधी टोपी पहने, तिरंगे लहराते हुए जमा हुए और सरकारी लोकपाल बिल के विरोध में नारे लगाए। अप्रैल में हुए अन्ना आंदोलन के बाद यह पहला मौका था जब जंतर-मंतर पर इतनी भीड़ जमा हुई। हालांकि पुलिस ने अन्ना समर्थकों को जंतर-मंतर से इंडिया गेट के बीच कैंडल मार्च निकालने से रोक दिया।
भीड़ का रुख देखकर मंच संभाल रहे अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसौदिया ने भी सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया। उनका कहना था कि यदि जनता ने यह मौका खो दिया तो उन्हें दोबारा यह मौका नहीं मिलेगा। अगर आंदोलन नहीं हुआ तो सरकार जनविरोधी बिल जनता पर थोप देगी। हजारे पक्ष के वक्ताओं ने कहा कि यदि दिल्ली पुलिस ने उन्हें शहर में कहीं भी अनशन व प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी तो वे गिरफ्तारियां देकर जेल में ही अनशन करेंगे और देशवासियों से एक हफ्ते के भारत बंद की अपील करेंगे।
अन्ना समर्थकों ने जंतर-मंतर पर लोकपाल बिल की प्रतियां जलाईं और उसके बाद मोमबत्तियां जलाकर इंडिया गेट की ओर चलने लगे लेकिन समर्थकों की भारी तादाद को मौजूद पुलिस व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने वहीं रोक दिया। इस बात पर कुछ देर के लिए पुलिस व हजारे पक्ष के बीच झड़प भी हुई।
नई दिल्ली. जनलोकपाल के लिए आंदोलन कर रहे गांधीवादी अन्ना हजारे को दिल्ली पुलिस ने भले ही 16 अगस्त से जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं दी है, पर इस जगह हर साल 2000 से भी ज्यादा धरना-प्रदर्शन होते हैं और इनमें तीन से पांच लाख तक लोग शामिल होते हैं। यह आंकड़ा दिल्ली पुलिस द्वारा ही दिया गया है।
सरकार ने अन्ना के अनशन को लेकर चिंता जताई है। दिल्ली में सोमवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अन्ना के अनशन के लिए जगह मुहैया कराने का फैसला सरकार को नहीं करना है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस पर है और वहीं अनशन के लिए जगह को लेकर अनुमति दे सकती है। वहीं प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दावा किया कि अन्ना के रवैये को लेकर केवल सरकार ही नहीं बल्कि सभी सांसदों की चिंता बढ़ी है। सरकार की ओर से संसद में पेश लोकपाल बिल का विरोध करने पर संवैधानिक व्यवस्था चरमराने की चिंता है। उन्होंने कहा, ‘संसद पर प्रश्नचिन्ह लगाना अपने आप पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है।’
पुलिस ने अन्ना को यह कहते हुए जंतर मंतर पर 16 अगस्त से अनशन शुरू करने की इजाजत नहीं दी कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ जाएगी। पर 16 अगस्त से पहले ही जंतर मंतर अन्ना के रंग में रंग गया। रविवार की शाम हजारों लोग जनलोकपाल व अन्ना के समर्थन के नारे लिखी तख्तियां लिए, गांधी टोपी पहने, तिरंगे लहराते हुए जमा हुए और सरकारी लोकपाल बिल के विरोध में नारे लगाए। अप्रैल में हुए अन्ना आंदोलन के बाद यह पहला मौका था जब जंतर-मंतर पर इतनी भीड़ जमा हुई। हालांकि पुलिस ने अन्ना समर्थकों को जंतर-मंतर से इंडिया गेट के बीच कैंडल मार्च निकालने से रोक दिया।
भीड़ का रुख देखकर मंच संभाल रहे अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसौदिया ने भी सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया। उनका कहना था कि यदि जनता ने यह मौका खो दिया तो उन्हें दोबारा यह मौका नहीं मिलेगा। अगर आंदोलन नहीं हुआ तो सरकार जनविरोधी बिल जनता पर थोप देगी। हजारे पक्ष के वक्ताओं ने कहा कि यदि दिल्ली पुलिस ने उन्हें शहर में कहीं भी अनशन व प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी तो वे गिरफ्तारियां देकर जेल में ही अनशन करेंगे और देशवासियों से एक हफ्ते के भारत बंद की अपील करेंगे।
अन्ना समर्थकों ने जंतर-मंतर पर लोकपाल बिल की प्रतियां जलाईं और उसके बाद मोमबत्तियां जलाकर इंडिया गेट की ओर चलने लगे लेकिन समर्थकों की भारी तादाद को मौजूद पुलिस व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने वहीं रोक दिया। इस बात पर कुछ देर के लिए पुलिस व हजारे पक्ष के बीच झड़प भी हुई।
2 टिप्पणियाँ:
यानि कि जो अण्णा हजारे का विरोध करे वह राक्षस है। मैं भी राक्षस हुआ इस तरह तो लेकिन् क्या अनूप मंडल ने कहीं ये लिखा है कि जो भी अण्णा हजारे का विरोध करेगा वह राक्षस होगा?उन्होंने तो मनु सिंघवी का भी नाम लिया है और सुरेश जैन का भी क्या इन्हें राक्षस स्वीकार लिया है तुमने या बस अपनी बात को फिर हिंदू-मुस्लिम विवाद में उलझा कर निकल भागना चाहते हो। तुम्हारा ब्लॉगर प्रोफ़ाइल रजिस्ट्रेशन बता चुका है कि तुम ही वो हो जिसने आयशा के बारे में अनर्गल बाते लिखीं थी और उसके बाद लगातार झूठ भी बोल रहे हो। कभी इस बारे में तो बोलो....
जय जय भड़ास
इसने महावीर सेमलानी और संजय बेंगाणी को भी तो राक्षस मान लिया है:)
गुरूदेव ये एक नंबर का घूर्त है आप इसके पिछवाड़े मारिये लात और हटाइये इसे भड़ास से ये हमारा कहना है लेकिन आपका भी दिल दरिया और बाकी सब समंदर है
जय जय भड़ास
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