अमित जैन की नीचता की पोल एक बार फिर खुल गयी
मंगलवार, 9 अगस्त 2011
बुज़ुर्गों ने सही कहा है कि गुस्सा बुद्धि को खा जाता है। वैसे तो अमित जैन के पास बुद्धि है लेकिन सिर्फ़ हलकट पने के कामों के लिये और वो भी खत्म हो जाती है जब क्षमा का नाटक करने वाले जैन का गुस्सा दिखने लगता है। देखिये एक प्रमाण जो ये बताता है कि आयशा जी के लिये लिखी बेज़ा और बेहद गलीज़ बातें इसी ने लिखी थीं और फिर खुद को शरीफ़ जताने के लिये डॉ.साहब को फोन भी करा था कि मैंने नहीं लिखा जो कि इसके ब्लॉगर रजिस्ट्रेशन नंबर से डॉ.साहब जान चुके थे लेकिन मान गये उन्हें भी जो इस नाबदान के कीड़े को सह रहे हैं।
लीजिये इसके कमेंट में इसकी स्वीकृति का प्रमाण जो ये गुस्से में कुबूल कर दोहरा रहा है
जय जय भड़ास
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