अन्ना की आंधी

बुधवार, 17 अगस्त 2011


2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

अमित भाई असहमति है क्योंकि कानून जो मौजूद हैं वे ही भ्रष्टाचार रोकने में समर्थ हैं बशर्ते उसे पालन करा जाए अब कानून का पालन कराने का एक नया कानून और उसके पालन का एक और....
लोकपाल
जन लोकपाल
जन गण लोकपाल
जन गण मन लोकपाल
ऐसे कितने लोकपाल-ठोकपाल बनाए जाएंगे और ये चूतियापा चलता रहेगा।
अण्णा हजारे और कांग्रेस दोनो मिलजुल कर देश की जनता को भ्रष्टाचारे के दर्द से छुटकारा नहीं दिला रहे बल्कि टेम्परेरी पेनकिलर दे रहे हैं यदि लोकपाल ही भ्रष्ट हुआ तो फिर क्या भगवान को अवतार लेना पड़ेगा या जनता को सड़क पर आकर ड्रामा करना होगा?? इन सवालों के जवाब पर केजरीवाल से लेकर अण्णा सब चुप्पी साध जाते हैं। अमलेन्दु उपाध्याय ने नीचे के आलेख में जो बातें लिखी हैं वे काफ़ी हद तक विचारणीय हैं
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

सर जी विचार अपने अपने है ,
विचारधारा भी अपनी अपनी ,
जिस की जहा सहमति हो बन जाये ,
बस अपन को तो तो इस देश मे
दानव -ऐ - भ्रटाचार से
ये बचाए या वो बचाए

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