भड़ास का असर एक बार फिर अण्णा हजारे इरोम शर्मिला के समर्थन में....
मंगलवार, 30 अगस्त 2011
याद है जब मुंबई पर राष्ट्र दामाद अजमल कसाब और उसके साथियों ने हमला करा था तो मीडिया किस कदर पगलाया हुआ था ये बताने के लिये कि क्या हो रहा है। मीडिया के कैमरे पल-पल की खबर आतंकवादियों को दे रहे थे कि भारतीय सेना के जवान किधर क्या कर रहे हैं और उसका परिणाम ये हो रहा था कि हमारे जवान नाकामयाब होते जा रहे थे बल्कि हमें एक नौजवान मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को खोना भी पड़ा। ये सब देख कर किशोर भड़ासी बादशाह बासित ने लिखा कि जिस तरह हिन्दी फिल्म "वेड्नस डे" में नसीरुद्दीन शाह टीवी पर सब देख कर अपनी बातें रख रहा है उसी तरह से हमारा मीडिया भी आतंकवादियों को सपोर्ट कर रहा है अपनी बेवकूफ़ी भरी होड़ में। इस बात का तुरंत प्रभाव हुआ और मीडिया के कैमरे पीछे हट गये। भले ही कोई कुछ भी कहे कि भड़ास पर सिवाए बकवास के कुछ नहीं निकलता।
1 टिप्पणियाँ:
शुभेच्छाएं बहन इरोम शर्मिला को...
जय जय भड़ास
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