देश की हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है

बुधवार, 21 सितंबर 2011


सब कुछ राष्ट्रीय है यहाँ ....

राष्ट्रीय पक्षी-- मोर,
राष्ट्रीय संस्कृति-- पश्चिम की ओर,
राष्ट्रीय दर्शन-- तोड़-फोड़, शोर,
राष्ट्रीय चिंतन-- कुर्सी के लिए जोर,
राष्ट्रीय व्यवस्था-- छिन्न-भिन्न, कमजोर,
राष्ट्रीय प्रगति-- महंगाई की ओर,
राष्ट्रीय खेल-- जनसंख्या में होड़,इसलिए हम हो गए 125 करोड़.
राष्ट्रीय बजट-- घाटा बेहिसाब,
राष्ट्रीय अतिथि-- अजमल कसाब,
राष्ट्रीय भांड - दिग्गी राजा महान
राष्ट्रीय आतंकवादियों का फाइनैंसर - राहुल गांधी महान.
देश के सभी कांग्रेस� राजनेता बेईमान फिर भी मेरा देश महान


व्यवस्था परिवर्तन 

पिछले 64 सालों से हम सरकारे बदल-बदल  कर देख चुके है..................... हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है, जिसके सारे के सारे कानून / धाराएँ अंग्रेजो ने बनाये थे भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए ...........इसी त्रुटिपूर्ण संविधान के लचीले कानूनों की आड़ में पिछले 64 सालों से भारत लुट रहा है ............... इस बार सरकार नहीं बदलेगी ...................... अबकी बार व्यवस्था परिवर्तन होगा...................
 (स्व. राजीव दिक्षित)
(ई-मेल द्वारा प्राप्त)

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