महात्मा अण्णा हजारे बनाम महात्मा शांताराम कांबले
बुधवार, 12 अक्तूबर 2011
आज बड़े दिनों बाद जब से अण्णा हजारे महात्मा बने तो एक और महात्मा से मुलाकात
हुई और बातें ताज़ा हो गयीं। वैसे भी बाबू केजरीवाल कह रहे हैं कि महात्मा अण्णा
हजारे देश की संसद से ऊपर हैं। मुझसे मिले महात्मा शांताराम कांबले जी यूँ तो
हमारे पुराने परिचितों में से हैं लेकिन इनका महात्मा होना हाल ही में सिद्ध हुआ
है। पहले मैं इन्हें सिर्फ़ बड़े भाईसाहब के दोस्त होने के नाते से जानता था। मेरी
माताजी के निधन के बाद इनकी नजदीकी हम लोगों से बढ़ी हैं। महात्मा शांताराम कांबले
रेलवे में कार्यरत हैं और एस.सी./एस.टी. वेलफ़ेयर एसोसिएशन के अपनी शाखा के अध्यक्ष
भी हैं । ओशो रजनीश से लेकर धम्मगिरी तक के दर्शन के बारे में गहरी जानकारी रखते
हैं अक्सर ध्यान शिविरों में भी आते जाते रहते हैं। ये तो सामान्य बातें हैं लेकिन
जो बातें इन्हें महात्मा साबित करती हैं वो ये कि जम कर दारु पीते हैं, उधार लेने
मे जरा भी नहीं हिचकिचाते और कर्ज़ लेकर खा जाना तो इनके लिए अत्यंत सामान्य बात है
जो भी ये देखता है कि मैं इनके साथ में हूं तो इनके जाने के बाद उपदेश देना शुरू
कर देता है कि आप जैसा आदमी इनके साथ क्यों रहता है ये तो बड़े बदनाम आदमी हैं। भाई
मैं जानता हूँ कि महात्मा शांताराम कांबले जी ने आज तक मुझसे एक भी पैसा नहीं
मांगा बल्कि जब भी कभी देखता हूँ तो जरूरतमंदों की सहायता ही कर दिया करते हैं ।
अण्णा हजारे के भीतर तमाम कमियाँ हैं वो दारू नहीं पीते, अंग्रेजी नहीं जानते, बृह्मचर्य
की बातें करते हैं महात्मा शांताराम कांबले ऐसी कोई बात नहीं करते हैं लेकिन
रालेगण सिद्धि गांव के लोगों के पास कौन सा प्रमाणपत्र है कि वो अण्णा हजारे को
महात्मा कह सकते हैं जो हमारे पास नहीं है। हमारे मन में आया तो हम जिसे चाहे उसे
महात्मा कहेंगे जिससे जो बन पड़े बिगाड़ ले। अण्णा हजारे हमें किसी कोने से महात्मा
नहीं लगता बस इसी बात का अध्ययन करना था सो कर लिया कि इनके मुकाबले में कौन खड़ा
हो सकता है।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
ha ha ha ,bahut badiya tarike se mahatma sidh kar diya aapne
bindaas bulaayiye kisi ko bhi mahatma
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