यदि "देशभक्त"(?) लड़के करें तो कानूनन जुर्म है लेकिन यदि सशस्त्र सैन्य बल गोली मार दें या बलात्कार कर डालें तो ये बात कानूनन जायज़ है
शनिवार, 15 अक्तूबर 2011
राष्ट्र की सम्प्रभुता के नाम पर सरकार सेना और सशस्त्र बलों की शक्ति से किन्हीं लोगों को जबरन यदि बाँध कर रखना चाहे तो क्या यह बात हमारे देश के लोकतान्त्रिक संविधान के अनुकूल है? अरे भाई जब एक संयुक्त परिवार से लोग अपनी पैतृक संपत्ति में से हिस्सा लेकर अलग होना चाहते हैं तो ये बात सामाजिक तौर पर भी सही मानी जाती है और कानूनी तौर पर भी सही है। भारतीय संविधान के जानकार अण्णा हजारे की टीम के कानून के जानकार बाबू प्रशांत भूषण ने जब जनमत संग्रह करा कर काश्मीर में शाँति के लिये उन्हें वोटिंग के आधार पर अलग कर देने की बात जैसे ही कही तो उन्हें कुछ "देशभक्त" बन्दों ने लतिया जुतिया डाला । अब देशभक्तों को कोई ये क्यों नहीं समझाता कि पहले हमारे देश का संविधान पढ़ें जिसे अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के अनुसार गढ़ा था उसे लेकर बाबू प्रशांत भूषण ने बयान दिया है। देशभक्तों को चाहिये कि वे इस तरह से मारकुटाई करने की बजाए, लोकपाल के लिये अण्णा हजारे के साथ चूतियापा करने की बजाए, रामदेव द्वारा विदेश से धन वापिस लाने की बकैती की बजाए अपने देश के संविधान में समीक्षा करके उसे ऐसी स्थिति में लाया जाए और नए सिरे से गठित करा जाए ताकि इस तरह की परेशानियों से कड़ाई से निपटा जा सके।
संविधान में जब तक सुधार करवा कर सभी नागरिकों के लिये समान अधिकार एवं कर्तव्य निर्धारित करे जाएं न कि हिंदू-मुसलमान, ब्राह्मण-भंगी, मराठी-गुजराती, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के आधार पर बाँट कर कानून बनाए जाएं। अखंड राष्ट्र की बात तब तक पाखंड रहेगी जब तक इस तरह का बदलाव संविधान में नहीं होगा। मारकुटाई यदि "देशभक्त" लड़के करें तो कानूनन जुर्म है लेकिन यदि सशस्त्र सैन्य बल गोली मार दें या बलात्कार कर डालें तो ये बात कानूनन जायज़ है, विचार करिये कि क्या जायज़ है और क्या जुर्म????
प्रशांत भूषण को पीट देना या मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या कर देना क्या समस्याओं का हल है या खुद अपने आप में समस्या है??????
जय जय भड़ास
संविधान में जब तक सुधार करवा कर सभी नागरिकों के लिये समान अधिकार एवं कर्तव्य निर्धारित करे जाएं न कि हिंदू-मुसलमान, ब्राह्मण-भंगी, मराठी-गुजराती, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के आधार पर बाँट कर कानून बनाए जाएं। अखंड राष्ट्र की बात तब तक पाखंड रहेगी जब तक इस तरह का बदलाव संविधान में नहीं होगा। मारकुटाई यदि "देशभक्त" लड़के करें तो कानूनन जुर्म है लेकिन यदि सशस्त्र सैन्य बल गोली मार दें या बलात्कार कर डालें तो ये बात कानूनन जायज़ है, विचार करिये कि क्या जायज़ है और क्या जुर्म????
प्रशांत भूषण को पीट देना या मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या कर देना क्या समस्याओं का हल है या खुद अपने आप में समस्या है??????
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
गुरू जी आप सही कह रहे हैं कि जो तुमको पसंद है वो कानून और जो हमको पसंद वो गैरकानूनी....
जय जय भड़ास
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