गोभी के फूल और कुट कुट कुड़ कुड़ करती मुर्गी में अंतर दिखता है

बुधवार, 2 नवंबर 2011

जैसे ही बकरीद आती है मुस्लिमों का बौद्धिक वर्ग माँसाहार के पक्ष में बचाव की मुद्रा में आकर विज्ञान से लेकर तर्कशास्त्र तक के सारे गृन्थ उठा कर तैयार हो जाते हैं। मनुष्य के दाँतों से लेकर आँतों तक कि चर्चा करी जाती है। वो गैर मुस्लिम जो वनस्पति, दूध-दही आदि खाते हैं तर्कों के द्वारा कटघरे में घसीट लिये जाते हैं कि दूध भी तो पशु-उत्पाद है, मनुष्यों के लिये नहीं बल्कि गाय या भैंस के बच्चे के लिये उसके शरीर में पैदा होता है। शाकाहारी कहते हैं कि जिसका दूध पिया वह माँ है तो माँ का दूध पीना और उसे काट कर खा जाना क्या अलग नहीं दिखता है।
मैं जान पाया हूँ कि आप तर्क से किसी भी व्यक्ति को निरुत्तर कर सकते हैं लेकिन सहमत नहीं जो जिस आग्रह को लेकर जी रहा है वही करेगा आप लाख सिर पटक लीजिये। मैं शाकाहारी हूँ एक सामान्य व्यक्ति हूँ यदि तालिबानी मुसलमान हैं तो मैं हरगिज हरगिज मुसलमान नहीं हूँ लेकिन यदि इतिहास के महान सेनानी वीर अब्दुल हमीद मुसलमान थे तो मैं भी मुसलमान हूँ, आस्था से लेकर खानपान की व्यवस्था तक जिसे जो करना है वह स्वतंत्र है लेकिन यदि उसके ऊपर दुनिया बनाने वाले का अंकुश है तो वह वही करेगा जो कि दुनिया बनाने वाला चाहता है।
मुझे गोभी के फूल और जीती जागती मुर्गी में अंतर दिखता है और इसमें किसी तर्क की जगह नहीं है तो मुझे खाने दीजिये आपको जो खाना है खाइये लेकिन बीमार होने पर दिमाग ठिकाने आ जाता है।
जय जय भड़ास

0 टिप्पणियाँ:

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP