BATTLE LINES DRAWN IN UTTARAKHAND

रविवार, 15 जनवरी 2012

उत्तराखण्ड में सज गया चुनावी मोर्चा

-जयसिंह रावत-

उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव में नाम वापसी की प्रक्रिया के बाद मुख्य मुकाबलों की तस्बीर लगभग साफ हो गयी है। इस चुनाव में मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी को कोटद्वार में जहां अपने पिछले उपचुनाव के प्रतिद्वन्दी सुरेन्द्र सिंह नेगी का सामना कर रहे हैं वहीं प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह रावत को रुद्रप्रयाग में अपने ही साडू मातबरसिंह कण्डारी से भिड़ गये हैं। देहरादून की डोइवाला सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट के बीच मुकाबला हो रहा है।

उत्तराखण्ड विधानसभा की सभी 70 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख दलों के लगभग 9 सौ प्रत्याशियों द्वारा ताल ठोके जाने के साथ ही प्रदेश की सत्ता के लिये होने वाले मुकाबलों की तस्बीर साफ हो गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के लिये तसल्ली की बात यह है कि उनको बार-बार ललकारने वाले प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह रावत डोइवाला के बजाय रुद्रप्रयाग चले गये हैं, लेकिन अब भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हीरा सिंह बिष्ट से पार पाना उनके लिये आसान नहीं होगा। बिष्ट की अपनी छवि ठीक है। जबकि निशंक की छवि को भाजपाई ही बिगाड़ते रहते हैं। हालत यह है कि भाजपा के पोस्टर बैनरों में निशंक की तश्बीर तक नहीं दी जा रही है . प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह उनके साडू भाई और प्रदेश के सिंचाई मंत्री मातबर सिंह कण्डारी के बीच इन दिनों जमक वाकयुद्ध चल रहा है। लेकिन वहा भी कांग्रेस के बागियों ने हरक की राहें आसान नहीं छोड़ी हैं। विधानसभाध्यक्ष हरबंश कपूर की कैण्ट सीट पर कांग्रेस ने सूर्यकान्त धस्माना के बजाय पंजाबी समुदाय के ही सरदार देवेन्द्र सेठी को उतारा है।

कड़ाके की सर्दी में होने जा रहे इन चुनावों में सबसे अधिक गरमाहट कोटद्वार गढ़वाल की सीट पर आने वाली है। वहां भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री खण्डूड़ी को उतारे जाने के बाद कांग्रेस ने सुरेन्द्र सिंह नेगी को मैदान में उतार दिया है। इससे पहले ये दोनों ही 2007 में हुये उप चुनाव में धूमाकोट सीट पर भिड़ चुके हैं। उस चुनाव में भले ही नेगी हार गये हों मगर खण्डूड़ी के लिये इस बार कोटद्वार में नेगी को हराना इतना आसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री होने के लाभ के साथ ही कोटद्वार को जिला घोषित करने के बोनस अंक भी खण्डूड़ी को मिल सकते हैं। यही नहीं उन्हें पूर्व सैनिकों के एक वर्ग का भी समर्थन मिल सकता है। मगर इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि कोटद्वार सदैव नेगी का गढ़ रहा है। भाजपा द्वारा शैलेन्द्र सिंह रावत का टिकट काट कर खण्डूड़ी को प्रत्याशी बनाये जाने से खण्डूड़ी के लिये कठिनाइयां पैदा हो गयी हैं। यह ठाकुर बहुल सीट होने के साथ ही भाजपा द्वारा शैलेन्द्र सिंह रावत का टिकट काट कर खण्डूड़ी को प्रत्याशी बनाये जाने से खण्डूड़ी के लिये जातीय वोटों के धु्रवीकरण का खतरा उत्पन्न हो गया है। खण्डूड़ी का गढ़वाल के ब्राह्मणों में जबरदस्त पैठ है। खण्डूड़ी के लिये जाति विशेष की दीवानगी भी जातीय वोटों के धु्रवीकरण में सहायक हो रही है। नेगी कभी निर्दलीय तो कभी कांग्रेस टिकट पर उत्तर प्रदेश के जमाने से चुनाव जीतते रहे हैं। लैंसडौन में रक्षा मोर्चा के जनरल टीपीएस रावत ने ताल ठोक दी है। जबकि सतपाल महाराज की पत्नी और बीरोंखाल की विधायक अमृता रावत इस बार रामनगर चली गयी हैं।

देहरादून की रायपुर सीट पर कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को कांग्रेस के उमेश शर्मा से और हरिद्वार में हरी विकास मंत्री मदन कौशिक को सतपाल ब्रह्मचारी का सामना करना पड़ेगा। पौड़ी की यमकेशवर सीट पर काबिना मंत्री विजया बड़थ्वाल को प्रदेशमहिला कांग्रेस की तेज तर्रार अध्यक्ष सरोजिनी कैंतुरा से भिड़ना होगा। ये तीनों ही मंत्री संकट में बताये जा रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विशनसिंह चुफाल के खिलाफ कांग्रेस ने डीडीहाट में रेवती जोशी को मैदान में उतारा है जबकि निशंक और खण्डूड़ी सरकारों के विधानसभा में खेवनहार रहे संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पन्त को पिथौरागढ़ सीट पर कांग्रेस के मयूख सिंह महर से जोर आजमाइश करनी होगी। एक अन्य काबिना मंत्री बलवन्त सिंह भौंर्याल के खिलाफ कांग्रेस ने कफकोट में ललित फस्र्वाण को उतारा है। भाजपा के तेजतर्रार नेता अजय भट्ट इस बार भी कांग्रेस के युवा तुर्क करण महरा से सीधे द्वन्द युद्ध में फंस गये हैं। पूर्वमंत्री एवं गत लोकसभा चुनाव लड़ चुके अजय टमटा सोमेश्वर में कांग्रेस के राजेन्द्र बाराकोटी से मुकाबला कर रहे हैं कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की एक और दावेदार इन्दिरा हृदयेश के खिलाफ भाजपा ने हाल ही में पार्टी में शामिल रेनू अधिकारी को उतारा हुवा है वहां हाल ही में भाजपा में iमिल रेनु अधिकारी को भाजपा टिकट दिये जाने का विरोध हो रहा है।

कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य को उधमसिंहनगर की बाजपुर सीट से उतारा है और उन्हें भी प्रतिद्वन्दी से अच्छी टक्कर मिल रही है। लैंसडौन से उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष जनरल टीपीएस रावत को कांग्रेस की युवा ब्रिगेड की ज्योति रौतेला और भाजपा के दिलीप सिंह रावत से भिड़ना होगा। देव प्रयाग से कांग्रेस के पूर्वमंत्री शूरवीरसिंह सजवाण का मौजूदा राजस्वमंत्री तथा भाजपा टिकट पर लड़ रहे दिवाकर भट्ट से मुकाबला है। दिवाकर भट्ट हालांकि सजवाण के सामने काफी कमजोर दिखते हैं फिर भी सजवाण की जीत को कांग्रेस के ही बागी मंत्री प्रसाद नैथाणी ने कठिन बना दिया है। देखा जाय तो रुद्रप्रयाग से कांग्रेस के हरक सिंह रावत भी तिकोने मुकाबले में फंस गये हैं।

टिकटों को लेकर कांग्रेस में भी बगावत काफी है मगर बगावतियों ने भाजपा में जो स्थिति पैदा कर रखी है वह पार्टी के लिये शुभ संकेत नहीं हैं। बद्रीनाथ से वरिष्ठ विधायक केदार सिंह फोनिया जनरल टीपीएस रावत के रक्षा मोर्चा में चले गये। उत्तराखण्ड क्रांति दल के बिखराव के बाद उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा उसकी जगह लेने का प्रयास कर रहा है। अगर इसी तरह कांग्रेस और भाजपा के बागी रक्षा मोचा को संबल प्रदान करते रहे तो प्रदेश में अभी विकल्प तो नहीं मगर एक राजनीतिक ताकत का उदय अवश्य हो सकता है। रक्षा मोर्चा लगभग हर सीट पर दिखाई दे रहा है। यही नहीं मोर्चा कांग्रेस और भाजपा के गणित भी गड़बड़ा रहा है। कुछ ही दिन पहले तक उत्तराखंड में कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी मगर कई समीकरणों के कारण मुकाबले दिलचस्प हो गए हैं.

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