हड्डियों का पोकलपन है या बस अब बैटरी खत्म होने को है
मंगलवार, 3 जनवरी 2012
लोकपाल चाहिये... लोकपाल चाहिये.... रट लगा कर अरविन्द केजरीवाल ने जिस तरह अण्णा हजारे के कंधे पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ख्याति की बंदूक चलाई थी वह हम सबने देखा । एक बार तो केजरीवाल ने बुड्ढे को चने के झाड़ पर चढ़ा कर भूखे मरने की धमकी देने के लिये बैठा दिया लेकिन हमारे देश की जनता तो वही है न जिसके पूर्वज अंग्रेजों के पंद्रह सौ सिपाहियों को आते देखते हुए तालियाँ बजा बजा कर खुश हो रहे थे तो अब भला क्या नया होने वाला था । बुड्ढ़ा प्रसिद्धि का भूखा तो है इसलिये बेचारा कुटिल केजरीवाल के मीडिया मैनेजमेंट और गैरसरकारी संगठनों द्वारा येन-केन-प्रकारेण जुटाई हुई भीड़ के देख कर समझ बैठा कि देश की जनता उसके साथ है । अरे इस प्रसिद्धि के लिये बौराए बुड्ढे को दिखता तो है न कि ये तो मात्र बारह दिन अनशन के लिये बैठा तो इतनी भीड़ जुट गयी और वो इरोम शर्मिला बारह साल से भूखी मर रही है और उसे न तो मीडिया पूछ रहा है न ही उसके लिये भीड़ जुट रही है बस हम जैसे कुछ पगलाए, झक्की, सनकी किस्म के अनपढ़, जाहिल और घोषित कर दिये गए बुरे लोग ही उनके दीवाने हैं तो क्या वजह है। उस लड़की को भी ऑस्टियोपोरोसिस हुआ है, मासिक धर्म बंद हो चुका है लेकिन क्यों? क्यों?? क्यों??? केजरीवाल या किरन बेदी या इन जैसे किसी को वो दिखती ही नहीं? बुढ़ऊ हजारे तो भारत के संविधान के लोकतान्त्रिक कंकाल की जानकारी है नहीं कि आदमी ऊपर से कितना भी चर्बी चढ़ा मोटा दिखे जब तक उसकी हड्डियाँ मजबूत नहीं होती उसे घुटने का दर्द सहना ही पड़ता है वैसा ही हाल हमारे संविधान का है। अब हजारे महोदय ने बहुत प्रसिद्धि पा ली है देखियेगा कुछ दिन बीमारी-बीमारी का खेल खिलवाने के बाद शहीदों की फ़ेहरिस्त में शामिल करा दिये जाएंगे केजरीवाल एण्ड पार्टी द्वारा । बैटरी खत्म हो चुकी है तुम्हारी या कि ओवरचार्ज हो गये थे दिल्ली की फ़ोकटखाऊ लोगों की भीड़ देख कर कि अब तो बस तुम देश का कायाकल्प कर दोगे, कुछ भी हो बहरहाल बस अब तुम टरकने वाले हो ऐसा लग रहा है और अगर नहीं टरके तो तुम्हारे आसपास के लोग अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की वेदी पर तुम्हारी बलि चढ़ा देंगे हमें सपने में ऐसी "डर्टी पिक्चर्स" दिखाई दे रही हैं। ईश्वर तुम्हारी आत्मा को शाँति दे ।
जय जय भड़ास
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