जब ७० रुपये लागत का सीमेंट २७०-३२० रुपये और ५ रुपये की अंग्रेजी दवा १५० रुपये में बेचीं जाती है तो भारत सरकार क्यों नहीं मूल्य निर्धारक अधिकरण बनाती जिससे जनता को लुट से बचाया जा सके...पढ़े....

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

जब ७० रुपये लागत का सीमेंट २७०-३२० रुपये और ५ रुपये की अंग्रेजी १५० रुपये में बेचीं जाती है तो भारत सरकार क्यों नहीं मूल्य निर्धारक अधिकरण बनाती जिससे जनता को लुट से बचाया जा सके...पढ़े....
१-    भारत में कम्पनिया अपना सामान लागत से ५ से २० गुना दामो पर बेचती है जब की कृषि उत्पादों का दाम लागत भी नहीं दे रहा है, जैसे घर बनाने के लिए सीमेंट ७०-८० रुपये में बनाकर तैयार हो जाता है परन्तु बाज़ार में वह २२५-३२० रुपये में बेचीं जाती है जब की यह सब मिटटी को पीसकर बनाया जाता है. यह एक उदहारण है. इसका दाम कंपनी तय करती है.
२-    जान बचाने केलिए बनाई गयी अंग्रेजी दवाओ की कीमत लागत की २५ गुनी पर बेचीं जा रही है और इसमे किसी प्रकार का मोलभाव नहीं किया जा सकता है इसके लिए चाहे घर बेचना पड़े.
३-    खेतों में डाला जाने वाला कीट नाशक भी १५ - ५० गुने दाम पर बेचा जाता है जिसमे सभी विदेशी कमापनिया शामिल है जिसकी बजह से खेती की लागत बहुत ज्यादा हो गयी है.
४-    कहने का मतलब कारखानों में बनने वाले सामानों की कीमत इतना ज्यादा क्यों रखा जाता है जिसे भारत की जनता मजदूरी और अनाज बेचकर खरीदती है जिससे खेती लागत बढ़ने से किसान गरीब हो जाता है उसके खेती की उपज सस्ते में बिकने से किसान दरिद्र हो जाता है.
उस पर तुर्रा यह की किसानो के उपज का दाम सरकार तय करती है और कारखानों की उपज का दाम लुटेरी कम्पनिया, इसलिये बाबा रामदेव जी ने सरकार से हर सामान का मूल्य निर्धारण अधिकरण बनाने की माग की है जो की लागत पर आधारित होगा जिसका हम सबको समर्थन करना चाहए.
मूल्य निर्धारण अधिकरण की माग का समर्थन करने केलिए १४ जनवरी से बाबा रामदेव जी की अगुआई में होने वाले आन्दोलन में खुलकर भाग ले......
जय भारत
संजय कुमार मौर्य

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