अगर सोनिया गांधी यह बता दें कि वह कितना इनकम टैक्स देती हैं, तो क्या इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है? जी हां, सोनिया गांधी का कुछ ऐसा ही कहना है। सूचना के अधिकार के तहत जब एक आरटीआई
सोमवार, 27 फ़रवरी 2012
जूली मरियप्पन
चेन्नै।। अगर सोनिया गांधी यह बता दें कि वह कितना इनकम टैक्स देती हैं, तो क्या इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है? जी हां, सोनिया गांधी का कुछ ऐसा ही कहना है। सूचना के अधिकार के तहत जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सोनिया गांधी के इनकम टैक्स रिटर्न के बारे में जानना चाहा तो, उन्होंने निजी आजादी और सुरक्षा का हवाला देते हुए ब्योरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस सूचना का जनहित से कुछ लेना-देना नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता वी. गोपालकृष्णन ने फाइनैंशल इयर 2000-2001 और 2010-2011 के बीच सोनिया गांधी के इनकम टैक्स रिटर्न का ब्योरा मांगा था। इसके बाद नई दिल्ली के अस्टिटेंट इनकम टैक्स ऑफिसर ने (जो कि चीफ पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर भी हैं) 23 जनवरी को आरटीआई ऐक्ट-2005 के सेक्शन-11 के तहत इसके बारे में सोनिया गांधी को लिखा। इसके जवाब में सोनिया ने लिखा कि किसी तीसरे व्यक्ति को इस तरह की सूचना मुहैया कराने से उनकी प्रिवेसी का तो उल्लंघन होगा ही, उनकी सुरक्षा को भी खतरे पैदा हो सकते हैं। उन्होंने लिखा कि यह सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को निजी और गुप्त तौर पर सौंपी जाती है। इनकम टैक्स ऐक्ट, 1961 की धारा 138 के तहत यह सूचना किसी तीसरे पक्ष को नहीं मुहैया करानी चाहिए।
गोपालकृष्णन की यह मांग दूसरी बार खारिज की गई है। इसके पहले चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर ने बिना सोनिया गांधी से पूछे इसे खारिज कर दिया था। दूसरी बार अपीलीय प्राधाकिरण के हस्तक्षेप के बाद चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर ने सोनिया गांधी से इस बारे में पूछा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोनिया गांधी की चिट्ठी के बाद गोपालकृष्णन को दूसरी बार सूचना देने से मना कर दिया है।
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चेन्नै।। अगर सोनिया गांधी यह बता दें कि वह कितना इनकम टैक्स देती हैं, तो क्या इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है? जी हां, सोनिया गांधी का कुछ ऐसा ही कहना है। सूचना के अधिकार के तहत जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सोनिया गांधी के इनकम टैक्स रिटर्न के बारे में जानना चाहा तो, उन्होंने निजी आजादी और सुरक्षा का हवाला देते हुए ब्योरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस सूचना का जनहित से कुछ लेना-देना नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता वी. गोपालकृष्णन ने फाइनैंशल इयर 2000-2001 और 2010-2011 के बीच सोनिया गांधी के इनकम टैक्स रिटर्न का ब्योरा मांगा था। इसके बाद नई दिल्ली के अस्टिटेंट इनकम टैक्स ऑफिसर ने (जो कि चीफ पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर भी हैं) 23 जनवरी को आरटीआई ऐक्ट-2005 के सेक्शन-11 के तहत इसके बारे में सोनिया गांधी को लिखा। इसके जवाब में सोनिया ने लिखा कि किसी तीसरे व्यक्ति को इस तरह की सूचना मुहैया कराने से उनकी प्रिवेसी का तो उल्लंघन होगा ही, उनकी सुरक्षा को भी खतरे पैदा हो सकते हैं। उन्होंने लिखा कि यह सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को निजी और गुप्त तौर पर सौंपी जाती है। इनकम टैक्स ऐक्ट, 1961 की धारा 138 के तहत यह सूचना किसी तीसरे पक्ष को नहीं मुहैया करानी चाहिए।
गोपालकृष्णन की यह मांग दूसरी बार खारिज की गई है। इसके पहले चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर ने बिना सोनिया गांधी से पूछे इसे खारिज कर दिया था। दूसरी बार अपीलीय प्राधाकिरण के हस्तक्षेप के बाद चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर ने सोनिया गांधी से इस बारे में पूछा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोनिया गांधी की चिट्ठी के बाद गोपालकृष्णन को दूसरी बार सूचना देने से मना कर दिया है।
आपने स्वयं और अपने परिवार के लिए सब कुछ किया, देश के लिए भी कुछ करिये,
क्या यह देश सिर्फ उन्ही लोगो का है जो सीमाओं पर मर जाते हैं??? सोचिये......
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