कांग्रेस और विदेशी यूरोपियन सरकारे नहीं चाहती की बिजली भारत के हर घर में पहुच जाये-- नहीं तो परमाणु ऊर्जा की लूट का क्या होगा....

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

कांग्रेस और विदेशी यूरोपियन सरकारे नहीं चाहती की  बिजली भारत के हर घर में पहुच जाये---
ये है तर्क----
मैं अभी एक  कोयला आधारित ताप विद्युत गृह के निर्माण कार्य में लगा हू और मेरा दोस्त सूर्य उर्जा घर बनाने में लगा है, ताप विद्युत घर मे-----
१- सिर्फ १२ वर्ग किमी की जमीन प्लांट बनाने के लिए लिया गया है, और कालोनी, रोड, कोयला ढोने के लिए रेल  के लिए, पानी के लिए पैप और रोड और राखी के लिए जमीन चहिये जिसमे कुल मिलकर  १६.९८ वर्ग किमी जमीन खरीदी गयी है वह भी जबरदस्ती.
२- जमींन कब्जा करने के लिए ५ लाख एकड़ के रेट से २१० करोड रुपये खर्च किये गए और ५ गाव उजाड दिया गया है. इस पूरी जमीन में बढ़िया खेती भी होती थी.
३- इतना सब करने के बाद कोयला जलाकर १२०० मेगावाट बिजली बनेगी जिसमे ३०% वितरण में नष्ट हो जायेगी क्योकि इसे एक ही जगह बड़ा बनाने में ही फायदा है, यानि कुल बिजली मिलेगी मात्र ८४० मेगावाट.
४- प्रति मेगावाट निर्माण खर्चा सभी छूट मिलाकर आता है ८० रुपये वाट यानी ९६०० करोड रुपये  और उत्पादन आता है ३ रुपये वाट; जिसमे सरकार इन्हें १० पैसा किलो कोयला देती है, वाही कोयला जो बाजार में १२-१३ रुपये किलो बिक रहा है, इस पर भी प्रदुषण कोयला खदान में और चिमनी से. इतनी राखी बनेगी की उसके लिए अलग से जमीन चाहिए, जहा कोयला निकलेगा. वहा का पूरा जंगल सत्यानाश हो जा रहा है. और आदिवासियों को खदेडा जा रहा है,
यदि सरकार सूर्य उर्जा का प्लांट लगाती  तो क्या होता---
१- एल पैनल जो १ मीटर गुने डेढ़ मीटर होता है, २३० वाट बिजली बनाता है, ८४० मेगावाट के लिए ३६५२१७३ पैनल चाहिए.
२- यदि पैनल के चारो और आधा मीटर की जगह छोड़कर लगाया जाये तो ३६५२१७३ गुने २ वर्गमीटर यानि ७३०४३४७ वर्ग मीटर जगह चाहिए यानी कुल ७.३ वर्ग किमी जमीन चाहिए. अफीस बनाने के बाद भी ८ वर्ग किमी जमीन बचेगी यानी २००० एकड़ जमीन खेती को मिलती.
३- इसे बनाने  के लिए यदि सरकार वाही छूट दे जो कोयला प्लांट को देती है तो इसे ५० रुपये प्रति वाट के हिसाब से बनाकर ४२०० करोड रुपये खर्च होगा और उत्पादन बिलकुल फ्री है, जिसमे न तो कोई प्रदुषण है नहीं कोई आवाज़ ,न ही राखी निकलती  और मरम्मत भी नाममात्र का . इसमे भी ५००० करोड की बचत होगी. गणना के लिए हमने ८४० वाट ही पकड़ा है क्योकि सौरी उर्जा केंद्र गाव गाव में लगेंगे. एक जगह लगाकर ३०% बिजली नष्ट क्यों करना. ५००० करोड बचे पैसे से ५० रुपये वाट के हिसाब से ४३ लाख घरों पर अतिरिक्त सूर्य ऊर्जा पैनल २३० वाट का लगा दिया जाता.
४- यह सौर उर्जा तकनीक वर्षों से अपने पास  है, चीन इसे खिलौनों में लगाकर बार बार भारत को चिढाता भी है लेकिन भारत के चोरकट नेता इधर सोचते ही नहीं क्योकि हर  घर में बिजली जाने का मतलब है की विदेशियों की लूट दो तरह से बंद हो जायेगी. पहला इसमे उन कंपनियों की लूट बंद हो जायेगी जो नेताओ को पैसा देते है, घर घर बिजली  होने घर ज्ञान और लुटेरो की खबर आधुनिक मिडिया से पहुंचेगी जिसकी वजह से गाँधी-नेहरू खानदान की असलियत अब जाकर ६५ साल बाद लोगो तक पहुंची है जो भारत की लूट के सबसे बड़े सूत्रधार रहे है.
५- घर में उजाला का मतलब है की घर घर में खुशहाली अपने आप आ जायेगी और इस बिजली के कारन ५ करोड अतिरिक्त  रोजगार पैदा हो जायेंगे जैसे मोबाइल की वजह से पैदा हुआ है.
६- किसानो को गैस से चलने वाला इंजिन देकर और गाव गाव में गोबर से गैस सिलिंडर भरने का प्लांट लगाकर और उससे निकला खाद किसानो वापस देकर भारत को खुशहाल बनाने में मात्र ३ साल लगेगे. गाय कटना बंद करके गाय और पशुधन आधारित तंत्र खडा करके भारत की खुशहाली कहा पहुँच  जायेगी, विदेशी इसे जानते है, भारत की सरकार हर साल ५४ करोड गाय-बैल-भैस कटवा कर विदेशियों को खिला देती है और भारत के बच्चे नकली दूध पी रहे हैं.
७- शुद्ध खाना पेट में जाने से रोग और बीमारी कम होगी और जनता खुशहाल होगी.
८- "भारत स्वाभिमान" का ये कहना की "गाय-कृषि-योग-आयुर्वेद-सौर ऊर्जा" से इस देश को मात्र २०२० तक विश्व की आर्थिक शक्ति बनाया जा सकता है, इसमे कुछ भी गलत नहीं है. स्वामी रामदेव जी के पास इकठ्ठा होती भीड़ इसकी गवाही देता है. २०१४ के बाद इस दिशा में ठोस कदम उठाया जायेगा....क्योकि तब तक कंग्रेस जा चुकी होगी.....


जय भारत,
संजय कुमार मौर्य

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