विद्वान आगंतुक कुछ दिनों के लिये बौद्धिकता की कबड्डी खेल कर मनोरंजन कर लें
रविवार, 19 फ़रवरी 2012
पिछले कुछ दिनों से मुंबई के तमाम भड़ासी भाई-बहन थोड़ा व्यस्त रहे । जिसके चलते कई बातें गले और दिल में अटकी रह गयी थीं । सीधी सी बात है कि अब हम सब भोलेनाथ शिवशंकर तो हैं नहीं कि जिन्हें देवता और दानव ज़हर पीने के लिए पटा लें । यदि कभी परिस्थितियों के कारण हमें थोड़ा बहुत विष पी भी लेना पड़ा तो हम नीलकंठ बन कर बैठे रहने की बजाए उल्टी-जुलाब करके उस ज़हर को उगल देते हैं । सोचने की बात है कि अण्णा हजारे के लोकपाल नौटंकी से लेकर अभी हाल ही में हुए मुंबई महानगर पालिका के परिणामों पर हम कुछ नहीं बोले यानि अब उल्टी-जुलाब का समय आ गया है तो भाई जिसे भड़ास की बदबू से नाक-भौं सिकोड़ना हो अभी से निकल कर किन्हीं गुडी-गुडी ब्लॉग्स पर बसेरा कर ले वरना फिर कहेंगे कि अच्छा खासा राहुल गाँधी से लेकर सोनिया बाई तक सब की ले रहे थे भड़ास राष्ट्रीय स्तर पर आ गया था और इन गंवारों ने दोबारा गली-मोहल्ले-घर की चहारदीवारी-खेत की मेड़ पर भड़ास को ले आया, अब करेंगे हिंदी का नुकसान ये जाहिल भड़ासी । विद्वान आगंतुक कुछ दिनों के लिये बौद्धिकता की कबड्डी खेल कर मनोरंजन कर लें।
जय जय भड़ास
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