यदि पढाई के समय से ही छात्रो में धन कमाने की कुंठा घर कर जाएगी तो इस देश के लिए कौन पढ़ेगा और किसके पास ईमानदारी बचेगी,......भारत में भ्रष्टाचार के जड़ ज़माने का मुख्य कारन नैतिक मूल्यों से हीन हमारी खर्चीली शिक्षा पद्धति है
मंगलवार, 20 मार्च 2012
भारत में भ्रष्टाचार के जड़ ज़माने का मुख्य कारन नैतिक मूल्यों से हीन हमारी खर्चीली शिक्षा पद्धति है जिसे चलाने केलिए गुरु नहीं, धन की आवश्यकता होती है......जरुर विश्लेषण करे. एक परेशान बेटा अपने पिताजी को ऐसा क्यों लिखता है की----
पूज्य पिताजी, आपके ताने हमें सोने नहीं देते, नौकरी मिलने दीजिये, मै इस देश को लूट डालूँगा और आपका पूरा पैसा १०० गुना वापस करूँगा....
दोस्तों,
एक बाप क्या चाहता है, की उसका बेटा भी अच्छी शिक्षा लेकर एक नैतिक नागरिक बन जाये,
परन्तु देश के लुटेरो ने भारतीय शिक्षा के मायने ही बदल दिए है और इसका व्यवसायीकरण कर दिया है,
जानिए---
१-उ.प्र और भारत के अन्य भागो में आजकल जितने स्कुल और कालेज खुल रहे है सब का मालिक या तो विधायक है, या संसद है या मंत्री है,
२-शिक्षा के बदले एक मोटी रकम की फीस ली जाती है जिसे अभिभावक को बिना मोल भाव के देना ही है, हर हफ्ते कोई न कोई फीस देनी होती है.
३-माँ-बाप जितनी बार फीस देते है उतनी बार अपनी संतान को कोसते है की अभी कितने दिन और पढ़ेगा.
४-बार बार ताने सुनकर संतान यही सोचते है की जल्दी से नौकरी मिला जाये और इस देश को लूट डाले, भाड़ में जाये नैतिकता और सरकारे यही चाहती है की इन अपराधबोध से ग्रस्त लोगो की संख्या बढती जाये जो कम पैसे में खरीदे जा सके..
५-आज की शिक्षा में तो वैसे ही नैतिक शिक्षा हटा दी गयी है दोष चाहे जिसका हो, शायद कांग्रेस का सबसे ज्यादा..
सरकारे तो स्कुल खोलने से जानबूझ कर बच रही है जिससे की मंत्री जी को मौका मिले स्कुल खोलने का, और अपने बेटो के लिए एक स्थायी आय को श्रोत पैदा कर दे रहे है, ये अनपढ़ संताने स्कुल का प्रबंधक बनकर शिक्षा का बंटाधार कर रहे है,
यदि पढाई के समय से ही छात्रो में धन कमाने की कुंठा घर कर जाएगी तो इस देश के लिए कौन पढ़ेगा और किसके पास ईमानदारी बचेगी, यह देश तो अंग्रेजो की साजिस का पूरी तरह शिकार होकर रह गया है,
क्या होना चाहिए-
१-सभी शिक्षा मात्री भाषा और राष्ट्र भाषा में दी जाये,
२-शिक्षा निशुल्क होना चाहिए,शिक्षण सामग्री सस्ती होने चाहिए, हर साल किताबे न बदली जाये,
३-शिक्षा में नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, हमारे पूर्वजो के बारे में बताया जाये न की विदेशी लुटेरो के बारे में.
४-शिक्षा और शिक्षक तथा पूरे संसथान का पूरा खर्च सरकार उठाये,
५-शिक्षा में राष्ट्रीय विषय और शामिल किये जाये और छात्रो को वास्तविक इतिहास पढाया जाये,
६-तब यदि बेटा किसी राष्ट्र सेवा के चुना जाये तो माँ-बाप को गम नहीं होगा क्योंकि खर्चा राष्ट्र दे रहा है. छात्रों में इमानदारी आयेगी और राष्ट्र महान बनेगा.
७-यह सत्य है की देश में पैसे की कमी बिलकुल नहीं है, देश का ४०० लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंको वैसे ही पड़े है.
८-सारी समस्या का सिर्फ एक ही जड़ है- भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार ने आमदमी को भ्रष्टाचारी होने केलिए मजबूर कर दिया है, अनचाहे मन से घुस देनी पड़ती है.
९- ध्यान से सोचिये-नक्सली समस्या की जड़ में क्या है, आज़ादी के बाद गरीबो को और गरीबी मिली और सक्षम लोगो ने देश को लूट डाला, एक गरीब को आत्मघाती और नक्सली बनने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है, जब की धनी आदमी पैसो को आराम से भोगने के लिए गुंडों को हफ्ता भी देता रहता है,
१०-शिक्षा के खर्च ने लोंगो को तबाह कर दिया है और लोग अपने बच्चो को अब इमानदार रहने की शिक्षा देना भूल जा रहे है.
११-सबको समान शिक्षा और समान अवसर ही देश में भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकता है जो स्वामी रामदेवजी और भारत स्वाभिमान की एक मुख्य मांग है,
१२-स्वदेशी उत्पादन से देश को कैसे धनवान बनाया जा सकता है, इस बारे में शिक्षा दी जाये, लोग विदेशी समान खरीदना बंद कर दे.
१३-कृषि की लगत किस तरह से कम की जा सकती है, इस बारे में सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे किसानो में हीन भावना न पैदा हो,
१४-समान शिक्षा होने पर किसान के बेटे के मन में कोई हीन भावना नहीं पैदा होगी, आज कोई किसान का बेटा होना नहीं चाहता है, क्यों-सिर्फ पैसा कमाने का अंतर है.
१५-सबको इमानदारी से पूरी नौकरी जिम्मेदारी से करनी पड़ेगी तो लोग खेती को फिर से उत्तम मानना शुरू कर देंगे.
१६-यदि सभी संसद, विधायक, मंत्री इमानदार हो जाये तो नौकरीपेशा वाला तुरंत इमानदार हो जायेगा.
तो क्या हम १२१ करोड़ की जनसँख्या से ५४५ इमानदार नागरिक नहीं खोज सकते है, जरुर खोज सकते है और इसमे पहल करने के लिए स्वामीरामदेव जी ने कमर कस ली है, इस बहुप्रतीक्षित आकांक्षा को पूरा करने के लिए भारत स्वाभिमान के अगुआ स्वामी रामदेवजी द्वारा भविष्य में घोषित किसी भी कार्यक्रम में सहभागी बने और आस्था चैनेल में माध्यम से जरुरी जानकारी प्राप्त करे.
(इस लेख को ५० लोंगो को अग्रेषित करे जिससे की ४ जून २०१२ यानि रामलीला मैदान में आधी रात को भारत के सविधान की हत्या दिवस की प्रथम वर्षी पर लुटेरो की गलती का अहसास कराया जा सके)
जय भारत
दोस्तों,
एक बाप क्या चाहता है, की उसका बेटा भी अच्छी शिक्षा लेकर एक नैतिक नागरिक बन जाये,
परन्तु देश के लुटेरो ने भारतीय शिक्षा के मायने ही बदल दिए है और इसका व्यवसायीकरण कर दिया है,
जानिए---
१-उ.प्र और भारत के अन्य भागो में आजकल जितने स्कुल और कालेज खुल रहे है सब का मालिक या तो विधायक है, या संसद है या मंत्री है,
२-शिक्षा के बदले एक मोटी रकम की फीस ली जाती है जिसे अभिभावक को बिना मोल भाव के देना ही है, हर हफ्ते कोई न कोई फीस देनी होती है.
३-माँ-बाप जितनी बार फीस देते है उतनी बार अपनी संतान को कोसते है की अभी कितने दिन और पढ़ेगा.
४-बार बार ताने सुनकर संतान यही सोचते है की जल्दी से नौकरी मिला जाये और इस देश को लूट डाले, भाड़ में जाये नैतिकता और सरकारे यही चाहती है की इन अपराधबोध से ग्रस्त लोगो की संख्या बढती जाये जो कम पैसे में खरीदे जा सके..
५-आज की शिक्षा में तो वैसे ही नैतिक शिक्षा हटा दी गयी है दोष चाहे जिसका हो, शायद कांग्रेस का सबसे ज्यादा..
सरकारे तो स्कुल खोलने से जानबूझ कर बच रही है जिससे की मंत्री जी को मौका मिले स्कुल खोलने का, और अपने बेटो के लिए एक स्थायी आय को श्रोत पैदा कर दे रहे है, ये अनपढ़ संताने स्कुल का प्रबंधक बनकर शिक्षा का बंटाधार कर रहे है,
यदि पढाई के समय से ही छात्रो में धन कमाने की कुंठा घर कर जाएगी तो इस देश के लिए कौन पढ़ेगा और किसके पास ईमानदारी बचेगी, यह देश तो अंग्रेजो की साजिस का पूरी तरह शिकार होकर रह गया है,
क्या होना चाहिए-
१-सभी शिक्षा मात्री भाषा और राष्ट्र भाषा में दी जाये,
२-शिक्षा निशुल्क होना चाहिए,शिक्षण सामग्री सस्ती होने चाहिए, हर साल किताबे न बदली जाये,
३-शिक्षा में नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, हमारे पूर्वजो के बारे में बताया जाये न की विदेशी लुटेरो के बारे में.
४-शिक्षा और शिक्षक तथा पूरे संसथान का पूरा खर्च सरकार उठाये,
५-शिक्षा में राष्ट्रीय विषय और शामिल किये जाये और छात्रो को वास्तविक इतिहास पढाया जाये,
६-तब यदि बेटा किसी राष्ट्र सेवा के चुना जाये तो माँ-बाप को गम नहीं होगा क्योंकि खर्चा राष्ट्र दे रहा है. छात्रों में इमानदारी आयेगी और राष्ट्र महान बनेगा.
७-यह सत्य है की देश में पैसे की कमी बिलकुल नहीं है, देश का ४०० लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंको वैसे ही पड़े है.
८-सारी समस्या का सिर्फ एक ही जड़ है- भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार ने आमदमी को भ्रष्टाचारी होने केलिए मजबूर कर दिया है, अनचाहे मन से घुस देनी पड़ती है.
९- ध्यान से सोचिये-नक्सली समस्या की जड़ में क्या है, आज़ादी के बाद गरीबो को और गरीबी मिली और सक्षम लोगो ने देश को लूट डाला, एक गरीब को आत्मघाती और नक्सली बनने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है, जब की धनी आदमी पैसो को आराम से भोगने के लिए गुंडों को हफ्ता भी देता रहता है,
१०-शिक्षा के खर्च ने लोंगो को तबाह कर दिया है और लोग अपने बच्चो को अब इमानदार रहने की शिक्षा देना भूल जा रहे है.
११-सबको समान शिक्षा और समान अवसर ही देश में भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकता है जो स्वामी रामदेवजी और भारत स्वाभिमान की एक मुख्य मांग है,
१२-स्वदेशी उत्पादन से देश को कैसे धनवान बनाया जा सकता है, इस बारे में शिक्षा दी जाये, लोग विदेशी समान खरीदना बंद कर दे.
१३-कृषि की लगत किस तरह से कम की जा सकती है, इस बारे में सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे किसानो में हीन भावना न पैदा हो,
१४-समान शिक्षा होने पर किसान के बेटे के मन में कोई हीन भावना नहीं पैदा होगी, आज कोई किसान का बेटा होना नहीं चाहता है, क्यों-सिर्फ पैसा कमाने का अंतर है.
१५-सबको इमानदारी से पूरी नौकरी जिम्मेदारी से करनी पड़ेगी तो लोग खेती को फिर से उत्तम मानना शुरू कर देंगे.
१६-यदि सभी संसद, विधायक, मंत्री इमानदार हो जाये तो नौकरीपेशा वाला तुरंत इमानदार हो जायेगा.
तो क्या हम १२१ करोड़ की जनसँख्या से ५४५ इमानदार नागरिक नहीं खोज सकते है, जरुर खोज सकते है और इसमे पहल करने के लिए स्वामीरामदेव जी ने कमर कस ली है, इस बहुप्रतीक्षित आकांक्षा को पूरा करने के लिए भारत स्वाभिमान के अगुआ स्वामी रामदेवजी द्वारा भविष्य में घोषित किसी भी कार्यक्रम में सहभागी बने और आस्था चैनेल में माध्यम से जरुरी जानकारी प्राप्त करे.
(इस लेख को ५० लोंगो को अग्रेषित करे जिससे की ४ जून २०१२ यानि रामलीला मैदान में आधी रात को भारत के सविधान की हत्या दिवस की प्रथम वर्षी पर लुटेरो की गलती का अहसास कराया जा सके)
जय भारत
अयोध्या से संजय कुमार मौर्य
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