डॉ.रेहान अन्सारी जी को पत्र..... जय जय भड़ास

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

डॉ.रेहान अन्सारी जी के साथ चल रहे मेरे प्रेम प्रसंग को वैसे तो सभी भड़ासी जानते हैं लेकिन जो विद्वान नए आगंतुक पाठक हैं वे भी जान लें इस लिये इस चित्र को प्रेषित कर रहा हूँ। होता है भाई इश्क नचाए जिसको यार वो फिर नाचे बीच बाज़ार.... वही हाल हमारा है हमारा प्रेम छिपाए नहीं छिप रहा है। इस मेल को देखिये-----
ई-मेल का चित्र जो प्रमाण है इस प्रेमवार्ता का
प्रिय डॉ.रेहान अन्सारी जी
सप्रेम प्रणाम
आपने मुझे जिस तरह आदर व सम्मान दिया है उसे स्वीकार लेने में मुझे प्रसन्नता है, भला मेरे जैसे छोटे आदमी को यदि आप व्यंग करते हुए तंज़िया अन्दाज़ में भी "जग आदरणीय" लिखेंगे तो भला मन आह्लादित न होगा। आपने मुझे ज्ञानी भी स्वीकारा है इसके लिये भी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। वैसे अति प्रसन्नता के कारण बोलने में जिह्वा लड़खड़ाती है परन्तु आज  टंकण में उंगलियाँ साथ नहीं दे रही हैं अब आपको प्रत्युत्तर के लिये इतनी लम्बी प्रतीक्षा कराना भी उचित नहीं प्रतीत हो रहा अतः पत्र प्रेषित कर रहा हूँ। मेरी ज़बान तो वो है जो जन सामान्य बोलता है उसे नस्तालिक लिपि में लिखिये, देवनागरी में या आपकी तरह रोमन में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मेरी ज़बान पर हिंदी की हथकड़ी मत लगाइये । आपने जिस प्यार से भय्या लिखा है मैं इस रिश्ते में बँध कर रह गया हूँ तो मेरा दायित्व बनता है कि उत्तर दूँ अन्यथा मेरा भाई कहीं मुझे अहंकारी न समझ ले कि मैं उत्तर तक नहीं देता। हिंदी के लिए श्री लिपि से लेकर आईलीप तक कई सॉफ़्टवेयर उपलब्ध हैं अत्यंत सहजता से जिनसे डी.टी.पी. कार्य करा जाता है उसके लिये मुझे परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। रही बात अंग्रेज़ी डी.टी.पी. के लिये किसी सॉफ़्टवेयर की तो उसके लिये माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड यदि आवश्यकताएं पूरी न कर पा रहा हो तो फोटोशॉप से लेकर कोरल ड्रॉ सभी इस भाषा की लिपि का समर्थन करते हैं। आपने पत्र पढ़ते समय किसी भी भावना के आग्रह से पहले संयम का आदेश दिया है तो आपके सामने है कि इतना समय पर्याप्त है जिसे आप मेरे संयम का सीधा उदाहरण मान सकते हैं। झंझट से मुक्ति यदि इतनी सरल होती तो कदाचित हम सब अब तक अंग्रेजी के मायाजाल से निकल चुके होते और आपकी घोषणा के अनुसार आपकी जान से भी अधिक प्यारी उर्दू में ओ.एस. व सॉफ़्टवेयर बन रहे होते । आपने मेरे सम्मान के स्तर को बनाए रखने में जितनी कोशिश करी है उसके लिये तो यदि मेरी आने वाली पीढ़ियाँ भी चाहेंगी तो इस उपकार से उऋण न हो सकेंगी। आपने लिखा है "आप लोग बड़े हैं" ये बात मेरी कल्पना से परे है कि आप मेरे साथ अन्य किन लोगों को जोड़ कर मुझे भी बड़ा कह रहे हैं लेकिन इस बड़प्पन को भी मैंने स्वीकार लिया ठीक जैसे आपने अन्य सम्मान दिया है। उर्दू वाले न तो कड़के हैं न सड़के हैं न ही बेचारे हैं  ये आपने धारणा कैसे बना ली इसका स्पष्टीकरण आवश्यक है । 
आपने स्वयं को अज्ञानियों में भी सबसे बड़ा जताया ये आपना निजी निर्णय है ये बात तो लोगों पर छोड़ देनी चाहिये\
आपकी सेवा में सामुदायिक पत्रा "भड़ास" पर कुछ आपके अनुसार मेरे ही जैसे आदरणीय लोगों ने लिखा था उसे पुनः संज्ञान के लिये प्रेषित कर रहा हूं यदि समय हो तो अवश्य पढ़ियेगा और प्रतिक्रिया दीजियेगा, भाषा की भद्रता-अभद्रता की कोई सीमा नहीं है जैसा कि आपके कुछ साथी इस सीमा को लाँघ चुके हैं अतः अब आगे बढ़िये। सादर प्रस्तुत है विशेष ध्यान दें

उर्दू के स्वयंभू मठाधीश ही उर्दू की कब्र खोद रहे हैं भाग - एक




हृदय से प्रेम सहित
आपका भय्या
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव

0 टिप्पणियाँ:

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP